27 June 2020

WISDOM ------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने   वाङ्मय  ' महापुरुषों  के  अविस्मरणीय  जीवन  प्रसंग ' में  लिखा  है ---- 'पराधीनता  मनुष्य  के  लिए  बहुत  बड़ा  अभिशाप  है  ,  वह  चाहे  व्यक्तिगत  हो  अथवा  राष्ट्रीय ,  उससे  मनुष्य  के  चरित्र  का  पतन  हो  जाता  है  ,  तरह - तरह  के  दोष  उत्पन्न  हो  जाते  हैं  l  इसलिए  कवियों  ने   पराधीनता  को  एक  ऐसी  ' पिशाचिनी ' की  उपमा  दी  है  जो  मनुष्य  के  ज्ञान , मान , प्राण  सबका  अपहरण  कर  लेती  है   l   दूसरों  को  पराधीन  बनाना   संसार  में   सबसे  बड़ा   अन्याय  और  दुष्कर्म  है  l   ईश्वरीय  नियम  तो  यह  है  कि   जो  अपने  से  छोटा , कमजोर , नासमझ  हो   उसको  आगे  बढ़ने  में  ,  उन्नति  करने  में   सहायता  दी  जाये  ,  प्रगति  - क्षेत्र  में  उसका  मार्गदर्शन  किया  जाये    पर  इसके  विपरीत  जो  कमजोर  को   अपना  भक्ष्य  समझते  हैं  ,  छलबल  से  उनके  स्वत्व  का  अपहरण  करने  को  ही   अपनी  विशेषता  समझते  हैं  ,  उन्हें  काम  से  काम  ' मानव ' पद  का  अधिकारी  तो  नहीं  कह  सकते  l   इनकी  गणना  तो  उन  क्रूर  हिंसक  पशुओं  में  ही  की  जा  सकती  है  ,  जिनका  स्वभाव   ही  खूंखार  बनाया  गया  है   और  जो  सबके  लिए  भय  का  कारण  होते  हैं  l '

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