ईश्वर के बारे में लोगों की भिन्न - भिन्न धारणा है l दुर्बुद्धि के कारण आपस में लड़ाई - झगड़ा करने के लिए भी लोगों ने ईश्वर का बहाना बना लिया l धर्म और ईश्वर के आधार पर इस तरह लड़ने पर उतारू होते हैं जैसे उन्होंने ईश्वर को देखा है l वास्तव में लड़ाई - झगड़ा , युद्ध , विनाश के कार्य करना , यह सब मानसिक विकृति है , इसका खामियाजा मानव जाति को भुगतना पड़ता है l श्रीमद् भगवद्गीता का सन्देश मनुष्य समझे तो कम से कम लड़ाई का एक बहाना तो समाप्त हो जाये भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं -- मनुष्य चाहे जिस तरह से भगवान को अपनाते , उनसे प्रेम करते और आनंदित होते हों , भगवान उन्हें उसी तरह अपनाते , उनसे प्रेम करते और आनंदित होते हैं l ईश्वर तो एक ही हैं , लेकिन मनुष्य की जैसी भावना होती है वह उन्हें वैसा ही समझता है l सूरदास जी , मीरा , कंस , दुर्योधन आदि ने जैसी उनकी भावना थी , उसी रूप में उन्हें जाना l यह भी एक आश्चर्य की बात है कि दिन के तो वही 24 घंटे होते हैं उसी में व्यक्ति चाहे साधारण हो या समर्थ हो , शक्तिशाली हो उसके पास लड़ाई - झगड़ा , युद्ध जैसे नकारात्मक कार्यों को करने या कराने का कितना समय होता है l यह सबसे बड़ी दुर्बुद्धि है कि वह अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में नहीं लगाता l
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