पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " ऊंचाई तक जाकर पतन होने के पीछे मनुष्य के कुकर्म ही जिम्मेवार होते हैं l जो शांति से धर्मपथ पर चलते रहते हैं , वे ही ऊंचाइयों को छू पाने में सफल होते हैं l " ------ छोटी सी गौरैया और गिद्ध में प्रतियोगिता तय हुई l निश्चय हुआ कि जो सबसे ऊँचे तक पहुँचेगा , वो जीतेगा l गौरैया फुर्र -फुर्र करती हुई ऊपर उठने लगी तो उसे दो कीड़े दिखाई पड़े , जो गिरते हुए नीचे आ रहे थे l उसने उन दोनों को भी साथ ले लिया और धीरे - धीरे ऊपर जाने लगी l इतनी देर में गिद्ध बहुत ऊपर जा चुका था , पर तभी उसे एक सड़ी लाश दिखाई पड़ी और वह प्रतियोगिता भूलकर मांस खाने जा बैठा l गौरैया प्रतियोगिता जीत गई l दूर से यह घटना देखते एक संत बोले ----- ' ऊँचे उठे फिर न गिरे , यही मनुज को कर्म l औरन ले ऊपर उठे , इससे बड़ो न धर्म l
No comments:
Post a Comment