लघु -कथा ----- बुरी संगति से जीवन कैसे पतन के गर्त में चला जाता है , इस सत्य को बताने वाली एक कथा है ---- एक चित्रकार ने एक अति सुंदर बालक का चित्र बनाया l चित्र बहुत ही सुंदर बना, उसकी लाखों प्रतियाँ बिक गईं l वर्षों बाद चित्रकार को सूझा कि वह एक अत्यंत दुष्ट और भयानक अपराधी का चित्र बनाए जिसको देखकर ही मन में घ्रणा का भाव आ जाए l इसके लिए वह कारागार और दुराचारियों के आवास स्थान आदि ठिकानों पर गया l कारागार में उसे एक भयानक आकृति का खूंखार कैदी मिला l उसने उससे कहा --- ' मैं तुम्हारा चित्र बनाना चाहता हूँ l " कैदी ने पूछा --- 'क्यों ? ' तब चित्रकार ने उसे अपना विचार बताते हुए उसे बालक का चित्र दिखाया l कैदी उस चित्र को देखकर रोने लगा और बोला --- ' यह चित्र मेरा ही है , यह सुंदर , सौम्य बालक मैं ही हूँ l ' चित्रकार हतप्रभ रह गया और कहने लगा ---- यह परिवर्तन कैसे हो गया ? ' कैदी की आँखों से आंसू थम नहीं रहे थे , वह रुँधे गले से बोला ---- बुरी संगति से मैं अपने जीवन की राह भटक गया और दुष्प्रवृतियों में फंस जाने के कारण मेरी यह दुर्गति हो गई l ' आचार्य श्री लिखते हैं --- जब जागो तब सवेरा , कुछ पतन के गर्त में जाकर भी महामानवों का अवलंबन लेकर , श्रेष्ठ साहित्य के अध्ययन से अपने को सुधार लेते हैं और मँझधार में फँसी अपनी नाव को खे ले जाते हैं l स्वयं को सुधारने का संकल्प जरुरी है l '
No comments:
Post a Comment