26 August 2022

WISDOM ------

   भगवान  बुद्ध  के  जीवन  का  एक  प्रसंग  है  ---- बुद्ध  आस्वान  राज्य  के  किसी  नगर  से  गुजर  रहे  थे  l  वह  स्थान  उनके  विरोधियों  का  गढ़  था  l  जब  विरोधियों  को  बुद्ध  के नगर  में  होने  का  पता  चला  ,  तो  उन्हें  अपमानित  करने  के  लिए   एक  एक  षड्यंत्र  रचा  l  व्यक्ति  के  संस्कार  जितने  नीच  होते  हैं   , वह  उतनी  ही  घटिया  स्तर  की  चाल  चलता  है  l  विरोधियों  ने  एक   स्त्री  के  पेट   में  बहुत  सा  कपडा  बांधकर   उसे  वहां  भेजा  , जहाँ  बुद्ध  थे  l  वह  वहां  पहुंची   और  जोर -जोर  से  चिल्लाकर  कहने  लगी  ---- " देखो , यह  पाप  इसी  महात्मा  का  है  l  यह  ढोंग  रचाए  घूमता  है   और  अब  भी  मुझे  स्वीकार  नहीं  करता  l  "  नगर  में  खलबली  मच  गई  l  उनके  शिष्य  आनंद  बहुत  चिंतित  हो  गए   और  पूछा  --- " भगवन  !  अब  क्या  होगा  ? "   बुद्ध  हँसे  और  बोले --- " तुम  चिंता  मत  करो  ,  कपट  देर  तक  नहीं  चलता  l  चिरस्थायी  फलने -फूलने  की  शक्ति  केवल  सत्य  में  है  l  "  इसी  बीच  उस  स्त्री  की  करधनी  खिसक  गई  , पेट  पर  जो  अलग  से  कपड़े  बाँध  रखे  थे  , वे  जमीन  पर  आ  गिरे  l  पोल  खुल  गई  l  स्त्री  अपने  कृत्य  पर  बहुत  लज्जित  हुई   लोग  उसे  मारने  दौड़े  ,  पर  बुद्ध  ने  यह  कहकर  उसे  सुरक्षित  लौटा  दिया  -- " जिसकी  आत्मा  मर  गई  हो , वह  मरों  से  भी  बढ़कर  है  ,  उसे  शारीरिक  दंड  देने  से  क्या  लाभ  ! "     इस  प्रसंग   से  यह  स्पष्ट  होता  है  कि  आसुरी  प्रवृति  के  व्यक्ति  , देवत्व  को  मिटाने  के  लिए   ऐसी  ही  कुटिल  चालें  चलते  हैं   और  उन्हें  सफल  बनाने  के  लिए   किसी  की  गरीबी , किसी  की  मज़बूरी  का  फायदा  उठाकर   उन्हें  अपना  माध्यम  बनाते  हैं   ताकि  उनका  असली  रूप  समाज  के  सामने  न  आ  सके  l  लेकिन  विजय  हमेशा  सत्य  की  होती  है  l 

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