14 February 2023

WISDOM ----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " मन , वचन  और  कर्म  में  एकरूपता  को  सत्य  कहते  हैं  l  यह  सत्य  भी  समय  और  परिस्थिति  को  देखते  हुए   ही   बोलने  का  निर्देश  है  l   कठोर  सत्य  को  न  बोलने  का  निर्देश  है   l  यदि  अंधे  को  अँधा   और  लँगड़े  को  लंगड़ा  कह  दिया  जाए  , तो  यह  सत्य  होते  हुए  भी  अपमानजनक  संबोधन  है  l  इसे  गाली  समझा  जाता  है  l  अत:  ऐसे  वचनों  का   शास्त्रों  में  निषेध  किया  गया  है  l "  एक  कथा  है ---- एक  बार  एक  कसाई  अपनी  बूढ़ी  गाय  को  ढूंढते  हुए   एक  निर्जन  स्थान  से  गुजरा  l  वहां  एक  ब्राह्मण  वेद  पाठ  कर  रहा  था  l  कसाई  ने  उससे  अपनी  गाय  के  बारे  में  पूछा  ,  तो  उसने  वस्तुस्थिति  को  भाँपते  हुए   उसका  गोलमाल  उत्तर  दिया   और  कहा --- ' जिसने  देखा  वह  बोलती  नहीं    और  जो  बोलती  है , उसने  देखा  नहीं  l  इससे  एक  साथ  दो  प्रयोजन  सधे  l  गाय  की  प्राण रक्षा  हो  गई    जो  सत्य  बोलने  से  शायद  नहीं  हो  पाती  और  दूसरा    उसका  मिथ्या  न  बोलने  के   संकल्प  का  भी   निर्वाह  हो  गया   l  

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