पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- ' इस बाहरी संसार में विधाता ने मक्खी , मच्छर , सर्प , बिच्छू , खटमल आदि ऐसे जीवों को बनाया है , जो मनुष्यों को हमेशा हानि पहुंचाते हैं , इसलिए उनसे बचने के लिए प्रबंध करना पड़ता है l सर्प , बिच्छू की तरह डंक मारने वाले प्राणियों की इस संसार में कोई कमी नहीं है , पर उनसे सचेत रहकर जम कर मोर्चा लेना ही उचित है l नहीं तो हानि उठानी पड़ सकती है l" --- एक सेठ जी थे , उनके पास बहुत धन -संपदा थी l उनके कोई संतान नहीं थी l समस्या थी कि धन का क्या करें , और समाज में सम्मान पाने की भी बहुत चाहत थी l कुछ चापलूसों ने उन्हें सलाह दी कि ऐसे तो सम्मान पाना बहुत कठिन है , आप अपने आसपास सर्प , बिच्छू जैसे स्वाभाव के , लोगों को भयभीत करने वाले लोग रख लो , तो उनके भय से लोग आपको झुककर सलाम करेंगे , चरण स्पर्श करेंगे l सेठ ने सलाह मानकर वैसा ही किया , अब लोग उन्हें सलाम करते तो उनके अहं को बड़ी संतुष्टि मिलती l सेठजी तो बहुत प्रसन्न हो गए लेकिन समाज में अपराध बढ़ गए , लोगों का जीवन , सुख -शांति खतरे में पड़ गई l कारण सेठ द्वारा पाले गए गुंडे अपने स्वाभाव के अनुरूप लोगों को सताने लगे l कुछ हितैषियों ने सेठ को सलाह दी कि सेठ जी धन का सदुपयोग करो l बहुत गरीब बच्चे हैं देश में , उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य का अच्छा प्रबंध करो , युवा लोगों को रोजगार दो तब आपका सम्मान बढ़ेगा और आपके जाने के बाद भी कायम रहेगा l अब सेठजी को समझ में आया कि दुष्टों को पालकर सम्मान नहीं मिल सकता l सद्गुणों से और सत्कर्म से ही सच्चा सम्मान मिलता है l
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