पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- 'प्रत्येक छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रम शांत और संतुलित मस्तिष्क द्वारा ही पूरे किए जा सकते हैं l संसार में मनुष्य ने अब तक जो कुछ भी उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं , उनके मूल में धीर -गंभीर शांत मस्तिष्क ही रहे हैं l कोई भी साहित्यकार , वैज्ञानिक , कलाकार -शिल्पी , यहाँ तक की बढ़ई , लोहार , सफाई करने वाले श्रमिक तक अपने कार्य , तब तक भली भांति नहीं कर सकते , जब तक उनकी मन:स्थिति शांत न हो l ' कार्ल मार्क्स ने अपनी विश्वविख्यात कृति ' दास कैपिटल ' एक पैर पर खड़े होकर लिखी , क्योंकि उन दिनों उनके नितंब पर फोड़ा निकला हुआ था , जिससे वह बैठ नहीं पाते थे l कार्ल मार्क्स ने अपने मित्र से एक बार हँसी में कहा था कि मेरा यह फोड़ा पूंजीपतियों को बहुत दरद देगा और उनकी यह बात सच निकली l
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