पुराण में अनेक कथाएं हैं जो यह बताती हैं कि असुरों ने कठोर तपस्या की और भगवान से वरदान प्राप्त कर शक्तिशाली हो गए और स्वयं को ही भगवान समझने लगे l हिरण्यकश्यप , भस्मासुर ऐसे ही असुर थे l ये असुर अभी मरे नहीं है , विभिन्न रूपों में आज भी जिन्दा हैं l परिवार हो , समाज हो , संस्थाएं हों , हर स्तर पर ऐसे असुर हैं जो किसी भी तरीके से शक्तिशाली बन गए हैं और अपने ही लोगों पर अत्याचार करने से नहीं चूकते हैं l असुर जिस भी क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लेते हैं , उसी क्षेत्र में नकारात्मकता बढ़ जाती है l देखने में तो लगता है कि तरक्की हो रही है लेकिन मानवीय मूल्यों का पतन हो रहा है l कला , साहित्य , शिक्षा , चिकित्सा , कृषि ---- आदि सभी क्षेत्रों में मनुष्य को शारीरिक और मानसिक द्रष्टि से स्वस्थ बनाने का प्रयास नहीं है , इसलिए असुरता और तेजी से बढ़ती जा रही है l ज्ञानी व्यक्ति जब अहंकारी हो जाता है तो वह अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करने लगता है और ऐसा व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में है वह उसे पतन के मार्ग पर ले जाता है , समाज का अहित करता है l
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