28 April 2024

WISDOM -------

   हिमालय  की  तराई  में  दो  संन्यासी  साथ -साथ  रहते  थे  l  उनमें  एक  वृद्ध   और  दूसरा  नौजवान  था   l  एक  बार  वे  कई  दिनों  की  तीर्थयात्रा  के  पश्चात्   जब  अपने  ठिकाने  पर  पहुंचे   तो  उन्होंने  देखा  कि   हवा -आँधी  ने   उनकी  कुटिया   को  तबाह  कर  दिया  l  यह  देख  युवा  संन्यासी  बड़बड़ाने   लगा ----" जो  छल -फरेब  करते  हैं  ,  उनके  मकान  सुरक्षित  हैं   और  हम  जो  दिन -रात  प्रभु  स्मरण  करते  हैं  , हमारी  कुटिया  तहस -नहस   हो  गई  l "  वृद्ध  संन्यासी  बोला ---- " दुःखी   मत  हो ,  इसमें  भी  कुछ  अच्छा  ही  होगा  l "  पर  युवा  संन्यासी  वृद्ध  की  बात  से  सहमत  नहीं  हुआ  ,  वह  दुःखी   होकर  रात  भर  जागता  रहा  ,  जबकि  वृद्ध  सुबह  सोकर  उठा   तो  बोला  --- " धन्यवाद  ईश्वर   आज  खुले  आसमान  के  नीचे   बहुत  अच्छी  नींद  आई  ,  काश  यह  छप्पर  पहले  ही  उड़  गया  होता  l "  इस  पर  युवा  संन्यासी  बोला ---- "  एक  तो   कुटिया  नहीं  रही  ,  ऊपर  से  आप   ईश्वर  को  धन्यवाद  दे   रहे  हैं  l "  वृद्ध  बोला ---- " तुम  हताश  हो  गए   और  इसलिए  रातभर  जागते  रहे   और  उदास  रहे  l  मैं  प्रसन्न  था  ,  इसलिए  चैन  की  नींद  सो  गया  l  "  इनसान  को  हर  परिस्थिति  में  प्रसन्न  रहना  चाहिए   l 

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