29 April 2024

WISDOM ------

   लघु कथा ----- 1 .  एक  साँप  को  बहुत  गुस्सा  आया  l  उसने  फन  फैलाकर  गरजना  और  फुफकारना   शुरू  कर  दिया   और  कहा ---- " मेरे  जितने  भी  शत्रु  हैं  ,  आज  उन्हें  खाकर  ही  छोडूंगा  l  उनमें  से  एक  को  भी  जिन्दा  न  रहने  दूंगा  l "    मेढ़क ,चूहे , केंचुए  और  छोटे -छोटे जानवर   उसके  गुस्से  को  देखकर  डर  गए   और  छिपकर  देखने  लगे  कि  देखें  आखिर  होता  क्या  है  ?  साँप  दिनभर  फुफकारता  रहा   और  दुश्मनों  पर  हमला  करने  के  लिए  दिनभर  इधर  से  उधर  बेतहाशा  भागता  रहा   l  फुफकारते -फुफकारते  उसके  गले  में  दरद  होने  लगा  l  शत्रु  तो  कोई  हाथ  नहीं  आया  , पर  कंकड़ -पत्थर  की  खरोचों  से   उसकी  सारी  देह  जख्मी  हो  गई  l  शाम  होते -होते  थकान  से   चकनाचूर  होकर  वह  एक  तरफ  जा  बैठा  l    क्रोध  करने  वाला   शत्रुओं  से  पहले   अपने  को  ही  नुकसान  पहुंचाता  है  l     

2 .  एक  राजकुमार  बहुत  दुष्ट  स्वभाव  का  था  l  एक  दिन  वह  बाढ़  के  पानी  में  बहने  लगा  , किसी  ने  उसे  बचाया  नहीं  l  नदी  में  एक  लट्ठ  बहता  जा  रहा  था    l  बाढ़  में  पड़े  हुए  एक  चूहे   और  एक  सांप  ने   उस  लट्ठ  पर  सवारी  गाँठ  ली    l वह  लट्ठ  राजकुमार  के  पास  से  बहता  हुआ  निकला  तो  राजकुमार   ने  भी   उसे  पकड़कर  अपनी  जान  बचाई  l   एक  साधू  ने  जब  यह  द्रश्य  देखा  तो  वह  नदी  में  कूद  पड़ा   और  लट्ठ  को  खींचकर  किनारे  ले  आय   , इस  तरह   उन  तीनों  की  जान  बच  गई  l   रात्रि  में  ठण्ड  बहुत  थी  तो  साधू  ने  लकड़ी  जलाकर  उन  तीनों  की  मदद  की ,  उन्हें  भोजन  कराया  और  स्वस्थ  होने  पर  विदा  किया  l  चूहे  और  साँप  ने  साधू  का  बहुत  अहसान  माना  और  आवश्यकता  पड़ने  पर  मदद  करने  की  बात  कही  लेकिन राजकुमार  बहुत  दुष्ट  और  अहंकारी  था  ,  उसे  बुरा  लगा  कि  वह  राजकुमार  है , उसके  अनुरूप  उसका  सत्कार  नहीं  हुआ   तो  उसने  क्रोध  में  आकर   साधु  की  झोंपड़ी  उखाड़कर  फिंकवा  दी  l   अहंकारी  को  किसी  भी  तरह  संतोष  नहीं  होता  l                                                                                                    

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