चित्रकार ने बड़ी मेहनत से भूखे गरीब आदमी का चित्र बनाया | चित्र ऐसा प्राकृतिक लगता कि आदमी की पीड़ा उभरकर कैनवस पर रख दी हो | दर्द से कराहता ,झुरियां पड़ी हुई ,कपड़े चिथड़े तार -तार दर्शाये गये थे | चित्र को देखकर लोगों के मन में दुःख के भाव उभरते | लोग अपनी- अपनी मनोवृति के अनुसार अटकलें लगाते |
चित्रकार के एक डॉक्टर मित्र ने चित्र को देखा और बड़ी देर तक देखता रहा | अंत में उसकी प्रशंसा करते हुए बोला --"लगता है इस आदमी के पेट में तकलीफ है | वही चित्र में आपने बताई है |
दुनिया अपने स्वभाव चिंतन के अनुरूप ही दिखाई देती है |
चित्रकार के एक डॉक्टर मित्र ने चित्र को देखा और बड़ी देर तक देखता रहा | अंत में उसकी प्रशंसा करते हुए बोला --"लगता है इस आदमी के पेट में तकलीफ है | वही चित्र में आपने बताई है |
दुनिया अपने स्वभाव चिंतन के अनुरूप ही दिखाई देती है |
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