9 November 2018

WISDOM----- अनीति और अधर्म का अंत अत्यंत त्रासदीपूर्ण और वीभत्स होता है l

 अनाचारी और  अधर्मी  स्वयं को  सबसे  अधिक  शक्तिशाली  मानते  हैं  , उन्हें  यह  गलतफहमी  हो  जाती  है  कि  उनका  कोई  बाल-बांका  भी  नहीं  कर  सकता  l   ऐसे  लोग  अपने  से  अधिक  सामर्थ्यवानों  से  नहीं  टकराते ,  ये  ऐसे लोगों  को  सताते  हैं  जो  पहले  से  ही हैरान , परेशान  और  पीड़ित  होते  हैं  l  कमजोर  और  दुर्बल जन   जब  इस  अत्याचार  का  प्रतिरोध  नहीं  कर  पाते  तो  इनका  हौसला  बढ़  जाता  है  और  ये  और अधिक  अत्याचार  करने  पर  उतारू  हो  जाते  हैं  l 
  अत्याचारी  और  अनाचारी  ह्रदयहीन  और  कायर  होते  हैं  ,  ये  अशक्त ,  निरीह  ,   बूढ़े  और  बच्चों  पर  भी  निर्ममता  से  वार  करते  हैं   किन्तु  इन्हें  स्वयं  पर  विश्वास  नहीं  होता  , इनका  अंतर  भय  और  अविश्वास  से  परिपूर्ण  होता  है  l  ये  सदा  डरते  रहते  हैं  कि  कोई   अधिक  बलशाली  इनके  वर्चस्व  को  समाप्त  न  कर  दे  l 
  हमारे  धर्मग्रंथों  में  इसके  उदाहरण  हैं --- वानरराज  बाली  स्वयं  बहुत  बलवान  था  और  उसे  यह  वरदान  था  कि  जो  भी  उसके  सामने  आयेगा  उसका  आधा  बल  उसके ( बाली ) पास  आ  जायेगा  ,  किन्तु  फिर  भी  वह   भयभीत  रहता  था  उसने  अजन्मे  हनुमान , जो  माता  अंजनि  के  गर्भ  में  पल  रहे  थे  ,  को  भयानक  विष  देकर  मारने  का  उपक्रम  किया   और  इसमें  असफल  होने  के  उपरांत   उसने  हर  वह  षड्यंत्र  किया  ,  जिससे  नवजात  हनुमान  समाप्त  हो  जाएँ   l
इसी  तरह  अधर्मी  मामा  कंस  ने  अपनी  ही  बहन   की  सात  नवजात  संतानों  को  मौत  के  घाट  उतार  दिया   l  आखिर  इन  अत्याचारियों  का  अंत  हुआ  l  इनके दुष्कर्मों  का  परिणाम   आने  में  देरी  भले  ही  हो  ,  परन्तु  जिस  अज्ञात  भय  , असंतोष  और  अशांति  की  पीड़ा  से   इनका  समय  गुजरता  है  , वह  बड़े - से - बड़े  दंड  से  कम  नहीं  होता  है  l   कर्मफल  से  कोई  नहीं  बचा  है  l   

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