मनुष्य ईर्ष्या , द्वेष , लोभ - लालच आदि दुष्प्रवृतियों में इस प्रकार उलझ जाता है कि मृत्यु को अपने अति निकट देखकर भी वह इनसे मुक्त नहीं हो पाता l एक कथा है ------ दो बाज एक ही पेड़ पर रहते थे l दोनों शिकार मार कर लाते और उसी पेड़ पर बैठकर खाते l एक दिन एक बाज ने साँप पकड़ा और दूसरे के हाथ चूहा लगा l दोनों अधमरे थे l दोनों ने सुस्ताकर खाने के लिए पंजों को ढीला छोड़ दिया l तनिक सा अवसर मिला तो साँप घायल चूहे को निगलने का पैंतरा दिखाने लगा l दोनों बाज बहुत हँसे , वे सोचने लगे देखो इन मूर्ख प्राणियों की हालत , स्वयं मरने जा रहे हैं , पर फिर भी द्वेष का स्वभाव और पाने का लोभ छूटता नहीं l
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