24 September 2021

WISDOM----- तंत्र बड़ा या भक्ति

    ऋषियों  का  वचन  है ---- " तंत्र  चाहे  कितना  ही  बड़ा  क्यों  न  हो  ,  वह  भक्ति  और  भक्त  से   सदैव  ही  कमजोर  होता  है  l   भक्त  की  रक्षा  स्वयं  भगवान  करते  हैं   और  तंत्र   भगवान  से  श्रेष्ठ  कदापि  नहीं  हो  सकता   l  "      भक्ति  सर्वोपरि  है   l   भक्ति  किसी  बड़े  एवं  श्रेष्ठ  तांत्रिक  अनुष्ठान  से  भी  बढ़कर  होती  है   l   यदि  तंत्र  प्रयोग  भक्त  पर  लगता   भी   है   तो  वैसा  विधान  होगा   l   इस  संदर्भ   में  एक  प्रसंग  है  ----   जगद्गुरु  शंकराचार्य  के  शरीर  त्यागने   का  समय  निकट  था   l   इस  दौरान  एक  कापालिक   क्रकच  ने  उन  पर   भीषण  तंत्र  का  प्रयोग  कर  दिया   l  इसके  प्रभाव  से  उन्हें  भगंदर  हो  गया    और  अंत  में  उन्होंने  अपनी  देह  को  त्याग  दिया   l   इस  संबंध में  तंत्र  के  महान  आचार्य  कहते  हैं   कि   उनकी  देह  को  तंत्र  लगा   तो   यह  विधान  के  अनुरूप  ही   था  l    लेकिन  भगवान    अपने  भक्त  को  कष्ट  देने  वाले  को  कभी   क्षमा  नहीं  करते  ,  व्यक्ति  को  अपने  दुष्कृत्य  का  परिणाम  भोगना  ही  पड़ता  है   l   कापालिक  की   आराध्या  एवं  इष्ट  भगवती   उससे  अति  क्रुद्ध  हुईं  ,  उन्होंने  कहा ---- ' तूने  शिव  के  अंशावतार   मेरे  ही  पुत्र  पर   अत्याचार  किया  है  l   इसके  प्रायश्चित  के  लिए   तुझे  अपनी  भैरवी  की   बलि  देनी  पड़ेगी  l  '   कापालिक  भैरवी  से  अति  प्रेम  करता  था  ,  परन्तु  उसे  उसको  मारना  पड़ा   l   उसको  मरने  के  बाद   वह  विक्षिप्त  हो  गया   और  अपना  ही  गला  काट  दिया   l   इस  प्रकार  उस  तांत्रिक  का  अंत  बड़ा   भयानक  हुआ   l    कर्मफल  से  कोई  नहीं  बचा  है   l  यही  संसार  है  ,  यहाँ  अँधेरा - उजाला ,  दिन - रात ,  तंत्र -मन्त्र    सब  कुछ  है   l    पर  अध्यात्म  की  शक्ति  सर्वोपरि  है   

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