जो संस्कार जीवन भर हावी रहते हैं , वे अंत तक पीछा नहीं छोड़ते हैं l एक बूढ़ा बीमार पड़ा l जीवन लोभ में बीता था l अपनी दवा पर भी ठीक से खर्च नहीं करते थे l कमजोरी बढ़ती गई l उसी स्थिति में उसने देखा आंगन में बछड़ा झाड़ू चबा रहा है l उनका मन बड़ा दुखी हुआ , मेरी कमाई इस तरह बरबाद जा रही है l बोलने का प्रयास किया पर कमजोरी में स्पष्ट शब्द नहीं निकल सके l लड़कों ने समझा शायद भगवान का नाम ले रहे हैं l दूसरे ने सोचा कि शायद अपनी गुप्त सम्पति के बारे में अंत समय में बतलाना चाहते हैं , उसने चिकित्सक को बुलाकर कहा --- " कुछ भी खर्च हो , ऐसा प्रयास करें कि इनके कुछ शब्द सुनाई दे जाएँ l कीमती दवाओं का प्रयोग किया गया , बहुत खर्चा हुआ , पर उन्हें कुछ शक्ति आई , थोड़ा दम लगाकर बोले तो सुनाई दिया --- बछड़ा , झाड़ू , बछड़ा - झाड़ू , यही मन्त्र दोहराते हुए प्राण छूट गए l
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