12 January 2022

WISDOM-----

    बात  उन  दिनों   की है  जब  स्वामी  विवेकानंद   एल. एल. बी.  के  अंतिम  वर्ष  में  थे  l   उन्हें  लक्ष्य  कर  के  स्वामी  रामकृष्ण परमहंस  ने   आत्मीयता पूर्वक  कहा  था  ---- " क्यों  रे  नरेन  !  तू  कब  तक  भटकता  रहेगा  l  वकालत  कर  के  झूँठ - मूँठ   पैसा  कमाने   के  चक्कर  में  पड़ा   तो  तेरे  हाथ  का  छुआ  पानी  नहीं  पीऊंगा  l  "  उनकी  बात  स्वीकार  कर  वे   पूरी  तरह  विद्या  के  क्षेत्र  में   कूद  पड़े   l   विद्या  में   प्रवीण  होकर    चमत्कारी  व्यक्तित्व  के  स्वामी  बन  जाने  पर    किसी ने  ठाकुर  से  पूछा --- " उनसे  क्या  कराएँगे   l  "  गले  में  कैंसर  हो  जाने  के  कारण ठाकुर  बोल  नहीं  सकते  थे  , उन्होंने  कोयले  का  टुकड़ा  उठाकर  जमीन  पर  लिखा  --- " नरेन   शिक्षा  दिबे  l "    नरेंद्र  विद्या   का  शिक्षण  देगा   l     स्वामी  विवेकानंद  कहते   थे ---- " मेरे  गुरु  ने  मुझे  विद्या  दी  है   l   इसको  पाकर  मैं  दार्शनिक  नहीं  हुआ  ,  तत्ववेत्ता  भी  नहीं  बना  हूँ   l   संत  बनने  का  दावा   नहीं  करता   l   परन्तु  मैं  इन्सान   हूँ   और  इन्सानों   को  प्यार  करता  हूँ   l  "

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