26 February 2022

WISDOM -------

   महाभारत  का  युद्ध  चल  रहा  था   l   द्रोणाचार्य  और  अर्जुन   आमने - सामने  थे   l   द्रोणाचार्य  ने  अर्जुन   को  धनुर्विद्द्या   सिखाई  थी ,  उसके  बावजूद  वे  उसके  सामने  असहाय  दिख  रहे  थे  l   कौरवों  ने  प्रश्न  किया  ---- " आश्चर्य  की  बात  है   कि   गुरु  हार  रहे  हैं   और  शिष्य  जीत  रहा  है  l  "  द्रोणाचार्य  बोले ---- " मुझे  राजाश्रय   की  सुख - सुविधा   भोगते  हुए   वर्षों  गुजर  गए  ,  जबकि  अर्जुन  इतने   ही समय  तक   कठिनाइयों  से  जूझता  रहा   है  l   सुविधासम्पन्न   अपनी  सामर्थ्य  गँवा  बैठते  हैं   और  संघर्ष शील   निरंतर  शक्तिसम्पन्न   बनते  रहते  हैं  l  "       महर्षि  अरविन्द  ने   कहा  है  ---- " दुःख   भगवान   के  हाथ  का  हथौड़ा  है  ,  उसी  के  माध्यम  से   मनुष्य   का जीवन  सँवरता   है  l  "   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  --- "  जीवन  में  दुःख ,  कठिनाइयाँ   हमें  कुछ  सिखाने   आती   हैं ,  हम  उसे  चुनौती  मानकर   उसका  सकारात्मक  ढंग  से  सामना  करें   l   रो कर , विलाप  कर  उस  समय  को  न  गुजारें ,  दुःख  को  तप  बना  लें  l   यदि  जीवन  में  सुख  का  समय  आता  है   तो  उसे  ईश्वर  की  देन   मानकर  निरंतर  निष्काम  कर्म  करें  ,  उसे  आलस - प्रमाद , भोग - विलास  में  न  गंवाएं   l  "

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