इस संसार में हमेशा से ही अँधेरे और उजाले में संघर्ष रहा है l अंधकार को सबसे ज्यादा डर प्रकाश से ही लगता है l देवत्व को मिटाने के लिए सारी आसुरी शक्तियां एक जुट हो जाती हैं l असुरता में एक विशेष बात यह है कि वे संगठित रूप से स्वयं को इस तरह प्रस्तुत करते हैं जैसे उनका मार्ग बिलकुल सही है , शेष सब गलत है l सामान्य व्यक्ति समझ नहीं पाता और वह असुरता का ही अनुसरण करने लगता है l ---------- सतयुग धरती की ओर बढ़ रहा था l यह देखकर कलियुग को अपने अस्तित्व की बड़ी चिन्ता हो गई , उसने अपने सहायकों की सभा बुलाई l सहायकों ने उसे ढाढस बंधाया , किसी ने कहा , मैं पृथ्वी पर जाकर धन का लालच फैला दूंगा , किसी ने कहा , हम लोगों को कामनाओं में फंसा देंगे l किसी ने कामिनी का दर्प दिखाया , पर कलि को संतोष नहीं हुआ l एक बूढ़ा सहायक एक कोने में बैठा था l वह बोला ---- " मैं जाकर लोगों में निराशा और आलस्य पैदा कर दूंगा l उनके साहस को नष्ट कर दूंगा , बस ! फिर वे किसी काम के न रहेंगे और न वे किसी बुराई को दूर करने के लिए संघर्ष कर सकेंगे और न ही किसी अच्छाई को उपार्जित करने का साहस उनमें रहेगा l " इस वृद्ध सहायक की बात कलि महाराज को बहुत पसंद आई और सतयुग को आगे बढ़ने से रोकने की जिम्मेदारी उन्होंने उसी को सौंप दी l आज के समय के निराश और आलसी लोग कलि महाराज की प्रजा बने हुए हैं l सतयुग बेचारा क्या करे ?
No comments:
Post a Comment