2 August 2022

WISDOM -------

   पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- " आचरणविहीन   धर्म  आडंबर  के  सिवा   और  कुछ  भी  नहीं   l  पत्थरों  के  पुराने  मंदिरों  में  सिर  झुकाने   की  रीति  निभाने  वालों  की  दशा   भी  पत्थरों  जैसी   हो  चली  है   l  धर्म  का  प्रचार  तो  बहुत  हो  रहा  है  ,  लेकिन  इसका  आचरण  नहीं  के  बराबर  हो  रहा  है   l  बातें  देवत्व  की  हो  रही  हैं  ,  जबकि  जीवन  निरंतर  पशुता  की  ओर   झुकता  जा  रहा  है   l  विचार  और  आचरण  के  बीच  गहरी  खाई  ने    धर्म  को  प्रभावहीन  बना  दिया  है   l   "  इस  सन्दर्भ   में   वे  एक  बूढ़े  फकीर  की  कहानी  लिखते  हैं  ------  '  एक  पहाड़ी  गाँव  में  एक  पालतू  तोता  था  ,  जो  स्वतंत्रता , स्वतंत्रता , स्वतंत्रता  '  चिल्लाया  करता  था  l  एक  बार  फकीर  उस  गाँव  में  ठहरे   l    उन्होंने  तोते  की  वेदना वेदना  भरी  वाणी  सुनी   l  वह  फकीर  अपनी  युवावस्था  में   देश  के  स्वाधीनता  आन्दोलन  में  कई  बार  कैद  रह  चुके  थे  l  इसलिए  तोते  द्वारा  कहे  गए  शब्दों  ' स्वतंत्रता ,  स्वतंत्रता ,---- '    को  सुनकर  व्याकुल  हो  गए   l  उन्होंने  बड़ी  मुश्किल  से  तोते  के  मालिक  को   उस  तोते  को  स्वतंत्र  करने  के  लिए  राजी  किया   l   बहुत  मुश्किल  के  बाद   वह  फकीर  उस  तोते  को   खुले  आकाश  में   उड़ाने  में  सफल  हुए   l  लेकिन  अगले  दिन  उन्होंने  देखा   कि  वही  तोता   अपने  पिंजरे  में  बैठकर   ' स्वतंत्रता  '  की  टेर   लगा  रहा  है   l  यह  देखकर  वे  मुस्करा  उठे   l  अब  उन्हें  आचरण विहीन  धर्म  का  अनुभव  हुआ   l  '

No comments:

Post a Comment