अनमोल वचन ---- ' फूल को किसी भी नाम से पुकारने पर उसकी सुगंध में अन्तर नहीं पड़ता l भगवान को किसी भी नाम से पुकारो , इससे फर्क क्या पड़ता है ? '
अनंत ब्रह्मांड पर आधिपत्य जमाने की मनुष्य की व्यर्थ की चेष्टा पर उसे चेताते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार बट्रेंड रसल ने लिखा है --- " अच्छा होता हम अपनी धरती ही सुधारते और बेचारे चंद्रमा को उसके भाग्य पर छोड़ देते l अभी तक हमारी मूर्खताएं धरती तक ही सीमित रही हैं l उन्हें ब्रह्माण्ड व्यापी बनाने में मुझे कोई ऐसी बात प्रतीत नहीं होती , जिस पर विजयोत्सव मनाया जाये l चंद्रमा पर मनुष्य पहुँच गया तो क्या ? यदि हम धरती को ही सुखी नहीं बना पाए तो यह प्रगति बेमानी है l " आज संसार के जो हालात हैं उसमें बट्रेंड रसल की यह पंक्तियाँ सार्थक प्रतीत होती हैं l
No comments:
Post a Comment