22 December 2022

WISDOM ----

    जब  संसार  में  धर्म  एक  व्यवसाय  बन  जाता  है   तब  सामान्य  जन -जीवन   दुःख , तनाव , चिंता , बीमारी , महामारी  जैसी  समस्याओं  से    चारों  ओर  से  घिर  जाता  है  l  धर्म  के  नाम  पर लड़ाई -झगडे  करते  रहने  से  बुद्धि  कुंद  हो  जाती  है   l  जीवन  के  और  भी  बहुत  से  पहलू   हैं   जिनमे   थोड़ा   -बहुत  सुधार  कर  के  स्वस्थ  जीवन  जिया  जा  सकता  है  l  पढना - लिखना , डिग्री  होना  एक  अलग  बात  है , लेकिन  विवेक  होना  बड़ी  बात  है   और  विवेकहीन  व्यक्ति  भेड़चाल  चलता  है  l  धर्म  के  संबंध  में  एक  दुःखद   बात  यह  भी  है  कि  धर्म  केवल  पाखंड  बन  गया  है l  धर्म  का  असली  मर्म    नैतिकता , मानवीयता , सत्य , ईमानदारी , प्रेम ,  करुणा   आदि  सद्गुणों  को  लोग  भूल  गए  हैं  इसीलिए  संसार  में  युद्ध , आतंक , लूट , हत्या ,  आत्महत्या , विवाद  आदि  बढ़  गए  हैं  l  ------ कांचीपुरम  में  किसी  ने  विनोबा जी  से  कहा  कि  यहाँ  एक  ऐसा  समुदाय  है  ,  जो  ईश्वर  को   नहीं  मानता  l   वे  कहने  लगे --- " इसमें   कौन  सी  नई  बात  है  !  ऐसे  आदमी  सारे  देश  में  हैं  , सारी  दुनिया  में  हैं  l  हमें  इसकी  कोई  परवाह  नहीं  करनी  चाहिए  , क्योंकि  वे  लोग  भगवान  को  भले  ही  नहीं  माने, भगवान  तो  उनको  मानता  है  l  बच्चा  माँ  को  भूल  जाये   तो  कोई  बात  नहीं  l  माँ  बच्चे  को  भूल  जाये  , तो  बड़ी  बात  है  l  आगे  वे  कहते  हैं  कि  --- " जो   यह  कहते  हैं  कि  हम  भगवान  को  नहीं  मानते  , वे  यह  तो  कहते  हैं  कि  हम  सज्जनता  को  मानते  हैं  , मानवता  को  मानते  हैं  l  हमारे  लिए  तो  इतना  ही  बहुत  है  l  मानवता  को  मानना   और  ईश्वर  को  मानना  हमारी  द्रष्टि  में  एक  ही  बात  है  l  जो  भगवान  को  मानते  हैं  ,  देखना  चाहिए  कि  वे  मानवता , करुणा , दया , सेवा  में  कितना  विश्वास  रखते  हैं  l   मूल्यांकन    इसी  आधार  पर  होना  चाहिए  l                                                                                               विज्ञान  ने  इतनी  तरक्की  कर  ली  कि   अब  मनुष्य  स्वयं  को  ही  भगवान  समझने  लगा  है  , चाहे  जिस   आकार -प्रकार  की  सब्जी , फल  उगा  ले  , चिकित्सा  के  आधुनिक  तरीकों  से  सबको  स्वस्थ  कर  दे   लेकिन   ऐसा  समझना  मनुष्य  की  सबसे  बड़ी  भूल  है  l  भोजन सामग्री , मिटटी  सब  रासायनिक  पदार्थों  से  प्रदूषित  हो  गई  l  अब  किसी  की  सामान्य  मृत्यु  हो  , यह  तो  सुनने  में  नहीं  आता  l  जो  भी  मरता  है  वह  किसी  न  किसी  बीमारी   या  हादसे  से  ही  मृत्यु  को  प्राप्त  होता  है   l  यह  चिन्तन  का  विषय  है  कि  यह  कैसी  उपलब्धि  है  ?  

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