लघु -कथा ---- एक बार बादशाह सुल्तान सैर को निकले l उन्हें शिकार अत्यंत प्रिय था l संध्या के समय वे सूर्यास्त का द्रश्य देख रहे थे कि उन्हें लगा कि टीले पर कोई जानवर बैठा है तो उन्होंने तुरंत निशाना साधकर उस पर तीर छोड़ा l तीर लगते ही एक जोर की चीख सुनाई दी l चीख सुनकर सुल्तान काँप उठे क्योंकि यह मनुष्य की चीख थी l उन्होंने पास जाकर देखा तो एक बालक तीर से घायल होकर पीड़ा से छटपटा रहा है l कुछ ही समय में बालक का मजदूर पिता भी आ गया l सुल्तान ने बालक का शीघ्र इलाज कराया l और दो थाल बालक के पिता के लिए मंगाए l एक में अशर्फियाँ और दूसरे में तलवार रखी थी l सुल्तान मजदुर से बोले --- " मैंने जानवर समझकर तीर छोड़ा था , परन्तु गलती से वह तुम्हारे पुत्र को लगा l तुम चाहो तो अशर्फी लेकर इस भूल को माफ़ कर दो , या फिर मेरा सिर तलवार से कलम कर दो l सुल्तान की न्यायप्रियता देखकर मजदूर दंग रह गया l उसने कहा --- "हुजूर ! मुझे दोनों में से कुछ नहीं चाहिए l आपसे निवेदन है कि निरीह प्राणियों का वध करना छोड़ दें l " बादशाह ने उस दिन के बाद शिकार करना छोड़ दिया l
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