लघु -कथा ---- एक गाँव में एक सपेरा रहता था l एक बार उसका इकलौता बेटा बीमार हुआ तो वह डॉक्टर के यहाँ दिखाने ले गया l डॉक्टर साहब उस समय क्लब जा रहे थे l सपेरे के बहुत हाथ -पैर जोड़ने पर भी उन्होंने लड़के को नहीं देखा और वह मर गया l संयोग की बात तीसरे ही दिन डॉक्टर के लड़के को सांप ने काट लिया l सबने कहा --अब तो वह सपेरा ही इसकी जान बचा सकता है l सपेरे को बुलाया , तो उसकी पत्नी ने उसे रोका और कहा की उस डॉक्टर ने उसके पुत्र का इलाज नहीं किया था l सपेरे ने कहा --- " नहीं , हमें जानबूझकर कभी कोई गलत काम नहीं करना चाहिए l ईश्वर ने हमें जो योग्यता दी है उसका सदुपयोग करना , अपना कर्तव्य पालन करना ही हमारा धर्म है l " यह कहकर सपेरा चला गया l उसने लड़के का परिक्षण किया , अभी उसके प्राण बाकी थे l सपेरे ने अपने तरीके से , अपने इलाज से लड़के को स्वस्थ कर दिया l डॉक्टर ने उसे मुंह माँगा इनाम देना चाहा और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी l तब उस सपेरे ने कहा --- " मैं धन लेकर क्या करूँगा l मेरा इनाम यही है कि अब आप किसी गरीब की उपेक्षा नहीं करना l " यह सुनकर डॉक्टर का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उन्होंने संकल्प लिया कि वे अब कभी चिकित्सक के धर्म को नहीं भूलेंगे और जो बहुत गरीब हैं उनका निशुल्क इलाज करेंगे l
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