16 May 2023

WISDOM ----

   लघु कथा ----1 . 'संसार  की  शोभा  '----  ऋषि  लाओत्से  अपने  प्रिय  शिष्य   योत्जी  के  साथ   किसी  यात्रा  पर  जा  रहे  थे  l  वे  उस  नगर  के  पास  से  गुजरे  जहाँ  के  राजा  को   कुछ  दिन  पूर्व  युद्ध  में  मार  दिया  गया  था  l  राज महल  जो  कभी  हास -विलास  का  केंद्र  था  , आज  भूत -प्रेतों  का  वास  बना  हुआ  था  l  खंडहर  देखकर   लाओत्से  ने  कहा ---" कितना  भयंकर  लगता  है  यह    स्थान  !  आदमी  की  गति  न  होने  से   स्थान  नीरव  और  उदास  लगते  हैं  l  पता  नहीं  उस  दिन   धरती  की  स्थिति  क्या  होगी  , जिस  दिन  पृथ्वी  से  मानव  का  अस्तित्व  उठ  जायेगा  l "  शिष्य  योत्जी  ने  प्रश्न  किया --- " क्या  यह  संभव  है  कि  पृथ्वी  जनशून्य  हो  जाएगी  ? "  लाओत्से  ने  कहा ---- " हाँ  वत्स  !  यह  संभव  है  l  लाखों , करोड़ों  आदमी  भले  ही  न  मरें  , पर  जिस  दिन  धरती  से   उन  आदमियों  का  अंत  हो  जाएगा  , जिनके  आधार  पर  मनुष्यता  और  धरती  की  प्रतिष्ठा  है  , उस  दिन  धरती  वीरान  हो  जाएगी  l  प्राणवान  पुरुषों  के  न  रहने  से   धरती  की  शोभा  जाती  रहती  है  l  संसार  की  गति  उसमें  बसने  वाले  साधारण  आदमियों  से  नहीं  है  , बल्कि  उस  आदमी  के  कारण  है  , जिसकी  स्फूर्ति  से   अनेक  आदमियों  के  जीवन  सही  दिशा  में  चलते  हैं  l  उनका  न  रहना   और  संसार  का    प्रेतवास    बनना  एक  समान  है   l  

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