लघु कथा ---- ' मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है l ' सुबह -सुबह एक लोहार घर से बाहर निकला l रास्ते में उसे लोहे के दो टुकड़े मिल गए l उसने उन्हें उठा लिया l घर लौटने पर लोहार ने एक टुकड़े से तलवार बनाई और दूसरे टुकड़े से ढाल बना दी l कुछ दिनों के बाद एक योद्धा आकर तलवार और ढाल खरीद कर ले गया l उस योद्धा ने कई युद्धों में उस तलवार और ढाल का उपयोग किया l एक युद्ध में तलवार टूट गई और ढाल ज्यों की त्यों सलामत रही l टूटी तलवार को योद्धा घर ले आया और एक कोने में उसे रख दिया l ढाल भी पास ही पड़ी थी l रात में जब सब सो गए तो तलवार कराहती हुई ढाल से बोली ----- " बहन ! देखो मेरी कैसी दुर्दशा हो गई और एक तू है जो ज्यों की त्यों सुरक्षित है l " ढाल ने कहा ---- " हम दोनों में एक ही फर्क है , तू सदैव किसी को मारने -काटने का काम करती है और मैं बचाने का काम करती हूँ l मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है l " यह सत्य ईर्ष्या , द्वेष और अहंकार से पीड़ित लोगों की समझ में आ जाये तो संसार में शांति और सुकून आ जाये l जन्म और मरण विधाता के हाथ में है , ईश्वर की इच्छा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता l संसार में आज यही दुर्बुद्धि व्याप्त है , अहंकारी स्वयं को भगवान समझने लगा है l
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