1 . हवा जोर से चलने लगी l धरती की धूल उड़ -उड़ कर आसमान पर छा गई l धरती से उठकर आसमान पर पहुँच जाने पर धूल को बड़ा गर्व हो गया l वह सहसा कह उठी --- " आज मेरे समान कोई भी ऊँचा नहीं l जल , थल , नभ के साथ दसों दिशाओं में मैं ही व्याप्त हूँ l " बादल ने धूल की गर्वोक्ति सुनी , और अपनी धाराएँ खोल दीं l देखते ही देखते आसमान से उतर कर धूल जमीन पर पानी के साथ दिखाई देने लगी , दिशाएं साफ़ हो गईं , धूल का नामो-निशान मिट गया l पानी के साथ बहती हुई धूल से धरती ने पूछा ---- " रेणुके ! तुमने अपने उत्थान -पतन से क्या सीखा ? " धूल ने कहा ---- " माता धरती ! मैंने सीखा कि उन्नति पाकर किसी को घमंड नहीं करना चाहिए l घमंड करने वाले मनुष्य का पतन अवश्य होता है l
2 . एक व्यक्ति ने महात्मा कन्फ्युशियस से प्रश्न किया ---- " महात्मन ! संयमित जीवन बिताकर भी मैं रोगी हूँ , ऐसा क्यों ? " कन्फ्यूशियस ने कहा ---- " भाई ! तुम शरीर से संयमित हो , पर मन से नहीं l अब जाओ ईर्ष्या -द्वेष करना बंद कर दो , मन से भी संयमी बनो , तो तुम्हे संयम का पूर्ण लाभ मिलेगा l "
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