समय परिवर्तनशील है , वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है l एक समय था जब विभिन्न सत्ताधारियों के अहंकार और महत्वाकांक्षा के कारण बड़े -बड़े युद्ध होते थे जैसे रावण के अहंकार के कारण ही राम -रावण युद्ध और दुर्योधन के अहंकार के कारण महाभारत हुआ l इस युग में भी सिकंदर , हिटलर आदि के अहंकार ने ही संसार में तबाही मचाई l लेकिन वर्तमान के युद्धों में अहंकार , महत्वाकांक्षा जैसी कोई बात स्पष्ट नहीं है l अहंकार जैसे दुर्गुण को भी ' धन ' ने खरीद लिया l यदि हम सामान्य द्रष्टि से भी देखें तो इन युद्धों में धन -वैभव संपन्न लोगों का , राजा , बड़े अधिकारी , शक्ति सम्पन्न , समर्थ लोगों का कोई नुकसान नहीं होता , वे सब सुख -वैभव और आराम की जिन्दगी जीते हैं l निर्दोष प्रजा , कमजोर लोग ही मारे जाते हैं , मानों वे ही बड़ी हुई जनसँख्या और धरती पर बोझ हैं l वक्त के साथ युद्ध के मायने ही बदल गए l मारक हथियार , बम आदि भी बोलने लगे हैं कि जल्दी इस्तेमाल करो ताकि और नए , पहले से भी घातक बने जिससे ' फालतू ' जनसँख्या को देख लें l इस तरह के युद्ध एक छिपी हुई चाहत को दिखाते हैं कि यह धरती केवल धन और शक्ति , वैभव संपन्न लोगों के लिए है यहाँ प्रकृति , पर्यावरण , छोटे -मोटे प्राणी किसी की कोई जरुरत नहीं है , कृत्रिम से काम चलेगा l यह सत्य है कि ' धन से व्यक्ति सब कुछ खरीद सकता है l ' लेकिन धन से उस अज्ञात शक्ति , परम पिता परमेश्वर को भी कोई खरीद सकता है क्या ? इसका उत्तर ' वक्त ' के हाथ में है l
No comments:
Post a Comment