सुप्रसिद्ध दार्शनिक जानजे से उनके एक मित्र ने पूछा ---- " मित्र ! दुनिया में इतनी अराजकता फैली हुई है l यदि यह दुनिया भगवान की बनाई हुई है तो वह दुनिया की व्यवस्था ठीक क्यों नहीं करता ? " जानजे ने उत्तर दिया ----- " मित्र ! हमारा कार्य अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करना है और भगवान का कार्य संसार की व्यवस्था देखना है l हमें हमारा कार्य ईमानदारी से करना चाहिए और भगवान का कार्य भगवान पर छोड़ देना चाहिए l " यदि हर व्यक्ति ईमानदारी से उसको दिए गए दायित्वों की पूर्ति सही ढंग से करता रहे तो संसार में सुव्यवस्था स्वत: आ जाएगी l आज संसार में इतनी अव्यवस्था , असंतोष , तनाव , अशांति है , इसका एकमात्र कारण यही है कि हर व्यक्ति बड़ी तेजी से अमीर और अमीर ---- होना चाहता है और अति की संपदा , अमीरी , ईमानदारी से तो आ नहीं सकती l अपनी महत्वाकांक्षाओं और असीमित इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह उचित -अनुचित सभी तरीके अपनाता है l इसके लिए वह केवल दूसरों का ही नहीं , अपनों का भी शोषण करने से नहीं चूकता l ईश्वर ने मनुष्य को अपनी राह चुनने की स्वतंत्रता दी है l जैसी सही या गलत जो भी राह व्यक्ति चुनेगा वैसी ही परिणाम उसको मिलेगा l यह मनुष्य का दुर्भाग्य है कि दुर्बुद्धि के कारण वह अनीति की राह चुनता है और जब उसका फल भोगता है तो दूसरों को और ईश्वर को कोसता है l
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