कर्तव्यपालन से बढ़कर कोई तप नहीं ।मधुमक्खी उड़ती -उड़ती एक फूल पर जा बैठी और मकरंद चूसने लगी ।एक तितली भी वहीँ मंडरा रही थी ।उसने पूछा -"बहन यह क्या कर रही हो ,हमें भी बताओ ।"मधुमक्खी ने कहा -"मधु इकठ्ठा कर रही हूँ ।"फिर अपने काम में जुट गई ।तितली हँसकर बोली -"बहन !तुम भी कितनी नादान हो ।छोटे से फूल में कहीं मधु रखा है ,बेकार समय और शक्ति ख़राब कर रही हो ।आओ ,हम दोनों चलकर कहीं मधु के तालाब की खोज करें ।"मधुमक्खी कुछ न बोली ,चुपचाप अपने काम में लगी रही ।तितली सारा दिन खाक छानती रही ।शाम को दोनों घर लौटीं तो मधुमक्खी के पास मधु का ढेर जमा था और तितली खाली हाथ लौट रही थी ।
No comments:
Post a Comment