द्रष्टिकोण के परिवर्तन से जहान बदल सकता है |
आशावादी व्यक्ति सर्वत्र परमात्मा की सत्ता विराजमान देखता है | उसे सर्वत्र परमात्मा की मंगलदायक कृपा बरसती दिखाई देती है | सच्ची शांति ,सुख और संतोष मनुष्य की अपने ऊपर ,अपनी शक्ति पर विश्वास करने से प्राप्त होता है |
दुनिया में बुरे लोग हैं ठीक है पर यदि हम अपनी मनोभूमि को सहनशील ,धैर्यवान और उदार बना लें तो अपनी जीवन यात्रा आनंद पूर्वक तय कर सकते हैं |
जो उपलब्ध है उसे कम या घटिया मानकर अनेक लोग दुखी रहते हैं | यदि हम इन लालसाओं पर नियंत्रण कर लें ,अपना स्वभाव संतोषी बना लें तो अपनी परिस्थितियों में शांतिपूर्वक रह सकते हैं |
अपने से अधिक सुखी ,अधिक साधन -संपन्न लोगों के साथ अपनी तुलना की जाये तो प्रतीत होगा कि सारा अभाव और दरिद्रता हमारे ही हिस्से में आया है परंतु यदि हम अपने से अधिक समस्याग्रस्त और दुखी लोगों से अपनी तुलना करें तो हमारा असंतोष ,संतोष में परिणत हो जायेगा और अपने सौभाग्य की सराहना करने को जी चाहेगा |
सूर्य प्रतिदिन अपने उसी क्रम से निकलता है उसके प्रति हमारा द्रष्टिकोण प्रतिदिन उगते रहने वाले सूर्य जैसा ही होता है ,किंतु यदि हम अपना द्रष्टिकोण बदलें और विराट जगत के महान क्रियाशील शक्तितत्व के रूप में उस सूर्य का चिंतन करें तथा सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र के जप के साथ प्रकाश का सम्मान करें तो वह महाप्राण हमारे शरीर को प्राण शक्ति से भरपूर और हमारे सम्पूर्ण जीवन को प्रकाशित कर देगा |
आशावादी व्यक्ति सर्वत्र परमात्मा की सत्ता विराजमान देखता है | उसे सर्वत्र परमात्मा की मंगलदायक कृपा बरसती दिखाई देती है | सच्ची शांति ,सुख और संतोष मनुष्य की अपने ऊपर ,अपनी शक्ति पर विश्वास करने से प्राप्त होता है |
दुनिया में बुरे लोग हैं ठीक है पर यदि हम अपनी मनोभूमि को सहनशील ,धैर्यवान और उदार बना लें तो अपनी जीवन यात्रा आनंद पूर्वक तय कर सकते हैं |
जो उपलब्ध है उसे कम या घटिया मानकर अनेक लोग दुखी रहते हैं | यदि हम इन लालसाओं पर नियंत्रण कर लें ,अपना स्वभाव संतोषी बना लें तो अपनी परिस्थितियों में शांतिपूर्वक रह सकते हैं |
अपने से अधिक सुखी ,अधिक साधन -संपन्न लोगों के साथ अपनी तुलना की जाये तो प्रतीत होगा कि सारा अभाव और दरिद्रता हमारे ही हिस्से में आया है परंतु यदि हम अपने से अधिक समस्याग्रस्त और दुखी लोगों से अपनी तुलना करें तो हमारा असंतोष ,संतोष में परिणत हो जायेगा और अपने सौभाग्य की सराहना करने को जी चाहेगा |
सूर्य प्रतिदिन अपने उसी क्रम से निकलता है उसके प्रति हमारा द्रष्टिकोण प्रतिदिन उगते रहने वाले सूर्य जैसा ही होता है ,किंतु यदि हम अपना द्रष्टिकोण बदलें और विराट जगत के महान क्रियाशील शक्तितत्व के रूप में उस सूर्य का चिंतन करें तथा सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र के जप के साथ प्रकाश का सम्मान करें तो वह महाप्राण हमारे शरीर को प्राण शक्ति से भरपूर और हमारे सम्पूर्ण जीवन को प्रकाशित कर देगा |
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