'उदारता वह दिव्य गुण है ,जो भावनाओं के तल से उभरता है ,अंकुरित होता है | यह तर्क का विषय नहीं है ,इसमें हम अपना नुकसान झेलकर भी औरों की प्रसन्नता एवं सहायता के लिये सब कुछ अर्पित करने के लिये तत्पर रहते हैं
हर्बर्ट हूबर अमेरिका के इकतीसवें (31 )राष्ट्रपति थे | | उनका बचपन एवं किशोर अवस्था घोर आर्थिक अभाव में व्यतीत हुआ | इन्ही अभाव के दिनों में जब वे कैलिफोर्निया कॉलेज में पढ़ रहे थे ,तब वहां पोलैंड के विश्वविख्यात संगीतज्ञ पेदेरेवस्की अपनी मंडली के साथपधारे | हूवर ने एक योजना बनाई -उन्होंने उनसे 2 0 0 0 डॉलर में कांट्रेक्ट किया | इसमें यह था कि पेदेरेवस्की को 2 0 0 0 डॉलर देने के बाद शेष राशि उन्ही की होगी ,परंतु दुर्भाग्य टिकट की बिक्री बहुत कम हुई और समस्या यह आई कि 2 0 0 0 डॉलर कैसे चुकता किये जायें | हूवर बेहद हताश हो गये ,उन्होंने सारी स्थिति पेदेरेवस्की को बताई और कहा -"टिकट की बिक्री से केवल 837डॉलर मिले थे ,आप ये लें ,हॉल आदि का किराया मैं चुकाता रहूंगा | "सब बातें जानकर उन महान संगीतज्ञ ने कहा -बेटे !चिंता मत करो ,यह राशि तुम रखो और इससे आयोजन का खर्च चुकता कर दो | "फिर उन्होंने कुछ डॉलर हूवर के हाथ में थमाते हुए कहा -यह तुम्हारे कठोर परिश्रम और अटूट लगन का पारितोषिक है ,इसे स्वीकार करो और अपने जीवन में संवेदनशील बनना ,उदारता का परिचय देना |
समय बीतता गया ,उन्होंने खानों में काम किया | हूवर उन महान संगीतज्ञ को कभी नहीं भूले |
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर यूरोप की दयनीय दशा में सुधार लाने के लिये अमेरिका ने जो दस करोड़ डॉलर का ऋण स्वीकृत किया ,उसके वितरण की जिम्मेदारी उन्हें मिली | ऋण वितरित करते समय हूवर ने कहा -"मैं यह अमेरिका का धन नहीं पोलैंड के संगीतज्ञ पेदेरेवस्की की दी गई संवेदनाएँ बांट रहा हूं | "
संवेदनाओं के इस वितरक को अमेरिका निवासियों ने राष्ट्रपति के सर्वोच्च आसन पर बैठाया ,विश्व ने इन्हें 'हर्बर्ट हूवर 'के नाम से जाना ,उन्होंने अपने जीवन के अंत तक औरों की सेवा -सहायता की |
1 9 अक्टूबर 1 9 6 4 की शाम उन्होंने अपनों के बीच कहा -"जीवन में किसी के प्रति निष्करुण मत होना ,सदा
औरों की सेवा करना ,उदारता का परिचय देना | "इसके दूसरे दिन वे सदा के लिये इस संसार से विदा हो गये ,उनका जीवन औरों को सदा प्रेरित करता रहेगा |
हर्बर्ट हूबर अमेरिका के इकतीसवें (31 )राष्ट्रपति थे | | उनका बचपन एवं किशोर अवस्था घोर आर्थिक अभाव में व्यतीत हुआ | इन्ही अभाव के दिनों में जब वे कैलिफोर्निया कॉलेज में पढ़ रहे थे ,तब वहां पोलैंड के विश्वविख्यात संगीतज्ञ पेदेरेवस्की अपनी मंडली के साथपधारे | हूवर ने एक योजना बनाई -उन्होंने उनसे 2 0 0 0 डॉलर में कांट्रेक्ट किया | इसमें यह था कि पेदेरेवस्की को 2 0 0 0 डॉलर देने के बाद शेष राशि उन्ही की होगी ,परंतु दुर्भाग्य टिकट की बिक्री बहुत कम हुई और समस्या यह आई कि 2 0 0 0 डॉलर कैसे चुकता किये जायें | हूवर बेहद हताश हो गये ,उन्होंने सारी स्थिति पेदेरेवस्की को बताई और कहा -"टिकट की बिक्री से केवल 837डॉलर मिले थे ,आप ये लें ,हॉल आदि का किराया मैं चुकाता रहूंगा | "सब बातें जानकर उन महान संगीतज्ञ ने कहा -बेटे !चिंता मत करो ,यह राशि तुम रखो और इससे आयोजन का खर्च चुकता कर दो | "फिर उन्होंने कुछ डॉलर हूवर के हाथ में थमाते हुए कहा -यह तुम्हारे कठोर परिश्रम और अटूट लगन का पारितोषिक है ,इसे स्वीकार करो और अपने जीवन में संवेदनशील बनना ,उदारता का परिचय देना |
समय बीतता गया ,उन्होंने खानों में काम किया | हूवर उन महान संगीतज्ञ को कभी नहीं भूले |
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर यूरोप की दयनीय दशा में सुधार लाने के लिये अमेरिका ने जो दस करोड़ डॉलर का ऋण स्वीकृत किया ,उसके वितरण की जिम्मेदारी उन्हें मिली | ऋण वितरित करते समय हूवर ने कहा -"मैं यह अमेरिका का धन नहीं पोलैंड के संगीतज्ञ पेदेरेवस्की की दी गई संवेदनाएँ बांट रहा हूं | "
संवेदनाओं के इस वितरक को अमेरिका निवासियों ने राष्ट्रपति के सर्वोच्च आसन पर बैठाया ,विश्व ने इन्हें 'हर्बर्ट हूवर 'के नाम से जाना ,उन्होंने अपने जीवन के अंत तक औरों की सेवा -सहायता की |
1 9 अक्टूबर 1 9 6 4 की शाम उन्होंने अपनों के बीच कहा -"जीवन में किसी के प्रति निष्करुण मत होना ,सदा
औरों की सेवा करना ,उदारता का परिचय देना | "इसके दूसरे दिन वे सदा के लिये इस संसार से विदा हो गये ,उनका जीवन औरों को सदा प्रेरित करता रहेगा |
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