8 May 2013

TOLERANCE

'उदार सहिष्णु और शांत जीवन जीने की शिक्षा हमें वृक्षों से मिलती है | "
उपद्रवों ,व्यंग -कटाक्षों को मुस्कराते हुए सुन लेना ,सह लेना और अपने लक्ष्य में निरत रहना ही सहिष्णुता है | संवेदनशील व्यक्ति क्रोधी नहीं होता | वह तो सतत अपने लक्ष्य की पूर्ति में ,आदर्शों को साकार करने में स्वयं को खपाता रहता है |
         
                लुकमान जिस नगर में रहते थे वहीँ एक सेठ भी रहता था जो अपने नौकरों पर सख्ती के लिये मशहूर था| उसका एक नौकर जो हकीम लुकमान के ही रूप रंग का था ,एक दिन भाग खड़ा हुआ उसकी खोज करते हुए सेठ की भेंट लुकमान से हो गई | उसने लुकमान को ही नौकर समझकर पकड़ लिया और घर लाकर काम पर लगा दिया | लुकमान ने भी कोई प्रतिरोध नहीं किया ,मेहनत से काम में जुट गये | एक वर्ष बीत गया |
तब वह पुराना नौकर आ गया ,अब सेठ को चिंता हो गई कि धोखे से किसे पकड़ लिया | सेठ ने लुकमान से पूछा -"सच कहो ,कौन हो आप ,मुझसे बड़ी गलती हो गई | "लुकमान ने कहा -"हकीम लुकमान "जो  हुआ उसका दुःख न करो ,मुझे मजदूरी करना आ गया | "

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