'पशु द्वन्द युद्ध से अपनी बलिष्ठता सिद्ध करते हैं और मनुष्य साहस और विवेक के आधार पर | '
इस संसार में कुल तीन शक्तियां हैं जिन पर हमारा सारा जीवन व्यापर चल रहा है |
1. पहली शक्ति है -श्रम -इससे हमें धन और यश मिलता है | जितनी भी सफलताओं का इतिहास है ,वह मनुष्य के श्रम की उपलब्धियों का इतिहास है |
2. दूसरी शक्ति है -ज्ञान की ,विचार करने की शक्ति | हमें जो भीप्रसन्नता मिलती इसी ज्ञान की शक्ति से मिलती है | जब हमारा मस्तिष्क संतुलित होता है तो हर परिस्थिति में हमें चारों ओर प्रसन्न्ता ही प्रसन्नता दिखाई देती | जीवन का आनंद सदैव भीतर से आताहै | यदि हमारे सोचने का तरीका सही हो तो बाहर जो भी क्रिया कलाप चल रहे हैं ,उन सभी में हमको ख़ुशी ही ख़ुशी बिखरी दिखाई पड़ेगी | दाराशिकोह मस्ती में डूबते चले गये | जेबुनिस्सा ने पूछा -"अब्बा जान !आपको क्या हुआ आज | आप तो पहले कभी शराब नहीं पीते थे ,फिर यह मस्ती कैसी "?वे बोले आज मैं हिन्दुओं के उपनिषद पढ़कर आया हूँ ,जमीन पर पैर नहीं पड़ रहे हैं | जीवन का असली आनंद उनमे भरा पड़ा है |
3. तीसरी शक्ति है -रूहानी -आदमी का व्यक्तित्व |आदमी की कीमत है उसका व्यक्तित्व ,ऐसे व्यक्ति दुनियां की फिजां को बदलते हैं ,देवताओंको अनुदान बरसाने के लिये मजबूर करते हैं | व्यक्तित्व श्रद्धा से बनता है | श्रद्धा अर्थात सिद्धांतों व आदर्शों के प्रति अटूट व अगाध विश्वास | व्यक्तित्व ऐसा वजनदार बन जाता है कि देवता तक नियंत्रण में आ जाते हैं |
इस संसार में कुल तीन शक्तियां हैं जिन पर हमारा सारा जीवन व्यापर चल रहा है |
1. पहली शक्ति है -श्रम -इससे हमें धन और यश मिलता है | जितनी भी सफलताओं का इतिहास है ,वह मनुष्य के श्रम की उपलब्धियों का इतिहास है |
2. दूसरी शक्ति है -ज्ञान की ,विचार करने की शक्ति | हमें जो भीप्रसन्नता मिलती इसी ज्ञान की शक्ति से मिलती है | जब हमारा मस्तिष्क संतुलित होता है तो हर परिस्थिति में हमें चारों ओर प्रसन्न्ता ही प्रसन्नता दिखाई देती | जीवन का आनंद सदैव भीतर से आताहै | यदि हमारे सोचने का तरीका सही हो तो बाहर जो भी क्रिया कलाप चल रहे हैं ,उन सभी में हमको ख़ुशी ही ख़ुशी बिखरी दिखाई पड़ेगी | दाराशिकोह मस्ती में डूबते चले गये | जेबुनिस्सा ने पूछा -"अब्बा जान !आपको क्या हुआ आज | आप तो पहले कभी शराब नहीं पीते थे ,फिर यह मस्ती कैसी "?वे बोले आज मैं हिन्दुओं के उपनिषद पढ़कर आया हूँ ,जमीन पर पैर नहीं पड़ रहे हैं | जीवन का असली आनंद उनमे भरा पड़ा है |
3. तीसरी शक्ति है -रूहानी -आदमी का व्यक्तित्व |आदमी की कीमत है उसका व्यक्तित्व ,ऐसे व्यक्ति दुनियां की फिजां को बदलते हैं ,देवताओंको अनुदान बरसाने के लिये मजबूर करते हैं | व्यक्तित्व श्रद्धा से बनता है | श्रद्धा अर्थात सिद्धांतों व आदर्शों के प्रति अटूट व अगाध विश्वास | व्यक्तित्व ऐसा वजनदार बन जाता है कि देवता तक नियंत्रण में आ जाते हैं |
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