पादरी आगस्तीन ने एक नया गिरिजाघर बनवाया | एक चित्रकार को बुलाकर प्रवेश द्वार पर मृत्यु का बड़ा चित्र बनाने का आदेश दिया | पादरी का कथन था--जो मृत्यु का स्मरण नहीं करेगा वह ईश्वर के दरबार में प्रवेश नहीं कर सकेगा |
चित्र बनकर तैयार हो गया | मौत के हाथ में तेज धार वाला कुल्हाड़ा था |पादरी ने पूछा--" यह क्यों ?
चित्रकार ने कहा--"मौत सबको काट-पीटकर रख देती है | "
पादरी ने सुधार का निर्देश दिया और कहा--" कुल्हाड़ा हटाकर उसके स्थान पर चाबी मौत के हाथ में थमा दो | " चित्रकार ने परिवर्तन का कारण पूछा तो संत आगस्तीन ने यही कहा---" मृत्यु किसी को नष्ट नहीं करती | परिवर्तन का एक उपयोगी द्वार भर खोलती है | "
चित्र बनकर तैयार हो गया | मौत के हाथ में तेज धार वाला कुल्हाड़ा था |पादरी ने पूछा--" यह क्यों ?
चित्रकार ने कहा--"मौत सबको काट-पीटकर रख देती है | "
पादरी ने सुधार का निर्देश दिया और कहा--" कुल्हाड़ा हटाकर उसके स्थान पर चाबी मौत के हाथ में थमा दो | " चित्रकार ने परिवर्तन का कारण पूछा तो संत आगस्तीन ने यही कहा---" मृत्यु किसी को नष्ट नहीं करती | परिवर्तन का एक उपयोगी द्वार भर खोलती है | "
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