जीवन विधाता का सर्वोत्कृष्ट वरदान है । जीवन अमृत है, इसे यूँ ही खोये नहीं, बल्कि इसकी सार्थकता की खोज करें ।
रास्ता रोके खड़े डाकू वाल्मीकि से सप्तऋषियों ने इतना ही तो कहा था कि क्या ये स्वजन-संबंधी तुम्हारे पापों में भी उतने ही भागीदार होंगे, जितना सुख-वैभव में ?
पत्नी व बच्चों तक ने जब अपना उत्तर नकारात्मक दिया, तो उसे अपनी दिशा का भान हो गया ।
आत्मप्रगति का मंत्र ऋषिगणों से पाकर उसने अपनी जीवन धारा ही मोड़ दी और वह संत वाल्मीकि बन गया ।
नरक की ओर उन्मुख हो रहा डाकू, अपनी विवेक-बुद्धि को सत्परामर्श के सहारे प्रयुक्त कर सही द्रष्टि पा गया और आदिकवि के रूप में इतिहास में अमर हो गया ।
रास्ता रोके खड़े डाकू वाल्मीकि से सप्तऋषियों ने इतना ही तो कहा था कि क्या ये स्वजन-संबंधी तुम्हारे पापों में भी उतने ही भागीदार होंगे, जितना सुख-वैभव में ?
पत्नी व बच्चों तक ने जब अपना उत्तर नकारात्मक दिया, तो उसे अपनी दिशा का भान हो गया ।
आत्मप्रगति का मंत्र ऋषिगणों से पाकर उसने अपनी जीवन धारा ही मोड़ दी और वह संत वाल्मीकि बन गया ।
नरक की ओर उन्मुख हो रहा डाकू, अपनी विवेक-बुद्धि को सत्परामर्श के सहारे प्रयुक्त कर सही द्रष्टि पा गया और आदिकवि के रूप में इतिहास में अमर हो गया ।
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