' अंधकार से प्रकाश की ओर '
आर्यों के नेता थे अगस्त्य, दस्युओं के शंबर | ऋषि अगस्त्य यही चाहते थे कि दस्यु भी सुसंस्कारी जीवन जियें, पर दस्यु ऐसा नहीं चाहते थे | वे अक्सर अपहरण कर आर्यों की लड़कियों को उठाकर ले जाते थे | विश्वरथ ने अगस्त्य से कहा------" कोई विधा खोजनी होगी, जिससे दस्यु सुसंस्कृत किये जा सकें | उन्हें भी आर्य बनाया जा सके | व्यक्तित्व उनका भी परिमार्जित किया जा सके |" पारस्परिक विचार-विमर्श के बाद विश्वरथ ने तपस्या का मार्ग चु ना | वे विश्वामित्र बने एवं अगस्त्य की प्रेरणा से उनने गायत्री-साधना का विधान रचा ताकि चिंतन, चरित्र और व्यवहार को परिष्कृत कर दस्यु प्रकाश-पथ पर अग्रसर हो सके |
गायत्री विज्ञान के प्रयोग रंग लाये और दस्यु आर्य बने , सारा देश आर्यावर्त बना |
गायत्री-साधना मंत्र रटने तक सीमित नहीं है , यह एक जीवनशैली है | जिसका ध्येय है---सबके लिये सद्बुद्धि एवं सबके लिये उज्जवल जीवन |
सद्व्यवहार, सदभाव और सत्कर्म इसके तीन चरण हैं जिसकी साधना कर प्रसुप्ति को जागरण में बदला जा सकता है |
आर्यों के नेता थे अगस्त्य, दस्युओं के शंबर | ऋषि अगस्त्य यही चाहते थे कि दस्यु भी सुसंस्कारी जीवन जियें, पर दस्यु ऐसा नहीं चाहते थे | वे अक्सर अपहरण कर आर्यों की लड़कियों को उठाकर ले जाते थे | विश्वरथ ने अगस्त्य से कहा------" कोई विधा खोजनी होगी, जिससे दस्यु सुसंस्कृत किये जा सकें | उन्हें भी आर्य बनाया जा सके | व्यक्तित्व उनका भी परिमार्जित किया जा सके |" पारस्परिक विचार-विमर्श के बाद विश्वरथ ने तपस्या का मार्ग चु ना | वे विश्वामित्र बने एवं अगस्त्य की प्रेरणा से उनने गायत्री-साधना का विधान रचा ताकि चिंतन, चरित्र और व्यवहार को परिष्कृत कर दस्यु प्रकाश-पथ पर अग्रसर हो सके |
गायत्री विज्ञान के प्रयोग रंग लाये और दस्यु आर्य बने , सारा देश आर्यावर्त बना |
गायत्री-साधना मंत्र रटने तक सीमित नहीं है , यह एक जीवनशैली है | जिसका ध्येय है---सबके लिये सद्बुद्धि एवं सबके लिये उज्जवल जीवन |
सद्व्यवहार, सदभाव और सत्कर्म इसके तीन चरण हैं जिसकी साधना कर प्रसुप्ति को जागरण में बदला जा सकता है |
No comments:
Post a Comment