'धन पैदा करना कठिन नहीं है, उसे सही खर्च करने की कला सीखना कठिन है | धन खर्च करना आ जाये तो थोड़े धन से भी मनुष्य सुखी हो सकता है । '
एक साधु तीर्थ यात्रा पर निकले । मार्ग व्यय के लिये किसी सेठ से कुछ माँगा, तो उसने कुछ दिया तो नहीं, पर अपना एक काम भी सौंप दिया । एक बड़ा दर्पण हाथ में थमाते हुए कहा--" प्रवास काल में जो सबसे बड़ा मूर्ख आपको मिले उसे दे देना । " संत बिना रुष्ट हुए उसका काम कर देने का वचन देकर दर्पण साथ ले गये ।
बहुत दिन बाद संत लौटे तो सेठ को बीमार पड़े देखा । संग्रहीत धन से वे न अपना इलाज करा पाये और न किसी सत्कर्म में लगा पाये । मरणासन्न स्थिति में संबंधी, कुटुम्बी उनका धन माल उठा-उठा कर ले जा रहे थे । सेठजी को मृत्यु और लूट का दोहरा कष्ट हो रहा था ।
साधु ने सारी स्थिति समझी और दर्पण उन्ही को वापस लौटा दिया और कहा---" आप ही इस बीच सबसे बड़े मूर्ख मिले, जिसने कमाया तो बहुत, पर सदुपयोग करने का विचार तक नहीं उठा । "
एक साधु तीर्थ यात्रा पर निकले । मार्ग व्यय के लिये किसी सेठ से कुछ माँगा, तो उसने कुछ दिया तो नहीं, पर अपना एक काम भी सौंप दिया । एक बड़ा दर्पण हाथ में थमाते हुए कहा--" प्रवास काल में जो सबसे बड़ा मूर्ख आपको मिले उसे दे देना । " संत बिना रुष्ट हुए उसका काम कर देने का वचन देकर दर्पण साथ ले गये ।
बहुत दिन बाद संत लौटे तो सेठ को बीमार पड़े देखा । संग्रहीत धन से वे न अपना इलाज करा पाये और न किसी सत्कर्म में लगा पाये । मरणासन्न स्थिति में संबंधी, कुटुम्बी उनका धन माल उठा-उठा कर ले जा रहे थे । सेठजी को मृत्यु और लूट का दोहरा कष्ट हो रहा था ।
साधु ने सारी स्थिति समझी और दर्पण उन्ही को वापस लौटा दिया और कहा---" आप ही इस बीच सबसे बड़े मूर्ख मिले, जिसने कमाया तो बहुत, पर सदुपयोग करने का विचार तक नहीं उठा । "
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