मिलान के आर्कबिशप पोप पाल उन दिनों कार्डिनल में आर्थिक तंगी का जीवन जी रहे थे । उन्ही दिनों अकाल की भी स्थिति थी । एक दिन एक समाजसेवी व्यक्ति उनके पास पहुंचे और बोले अभी भी बहुत लोगों तक खाद्य सामग्री पहुँच नहीं पायी, जबकि कोष में एक भी पैसा नहीं बचा ।
पोप पाल ने कहा--" कोष रिक्त हो गया--- ऐसा मत कहो, अभी मेरे पास बहुत - सा फर्नीचर, सामान पड़ा है, इसे बेचकर काम चलाओ । कल की कल देखेंगे । "
आज का काम रुका नहीं, कल आने तक उनकी यह परदुःखकातरता दूसरे श्रीमंतों को खींच लाई और सहायता कार्य फिर तीव्र गति से चल पड़ा ।
पोप पाल ने कहा--" कोष रिक्त हो गया--- ऐसा मत कहो, अभी मेरे पास बहुत - सा फर्नीचर, सामान पड़ा है, इसे बेचकर काम चलाओ । कल की कल देखेंगे । "
आज का काम रुका नहीं, कल आने तक उनकी यह परदुःखकातरता दूसरे श्रीमंतों को खींच लाई और सहायता कार्य फिर तीव्र गति से चल पड़ा ।
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