व्यक्तित्व का उत्थान-पतन किस प्रकार सुख व दुःख का कारण बनता है, इस पर गुरुकुल में विचार-विमर्श चल रहा था | पूर्णिमा पर चंद्रिका बरसाते चंद्रमा को देखकर महर्षि गार्ग्य से उनके एक शिष्य ने पूछा---"भगवन ! 15 दिन चंद्रमा की आभा बढ़ती रहती है और 15 दिन घटती रहती है , इसका रहस्य क्या है ? "
गार्ग्य ने समझया--" तात ! चंद्रमा का यह क्रम, यह बताने के लिये अपनाया है कि व्यक्तित्व के विकास से लोग न केवल स्वयं प्रकाशित होते हैं, वरन संसार को भी प्रकाशित करते हैं, जबकि पतन की ओर उन्मुख होने वाले क्षीण होते और अज्ञान के अंधकार में गिरकर नष्ट होते जाते हैं |
गार्ग्य ने समझया--" तात ! चंद्रमा का यह क्रम, यह बताने के लिये अपनाया है कि व्यक्तित्व के विकास से लोग न केवल स्वयं प्रकाशित होते हैं, वरन संसार को भी प्रकाशित करते हैं, जबकि पतन की ओर उन्मुख होने वाले क्षीण होते और अज्ञान के अंधकार में गिरकर नष्ट होते जाते हैं |
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