' The aim of life is inner purification , courage and doing well to others. The one who sticks to them does not go astray. '
संत मलूकदास का जन्म 1631 में इलाहाबाद के पास हुआ | वे 108 वर्ष जिये और उन्होंने चार मुगल बादशाह देखे--- अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब । उनने जीवन भर अपने उपदेशों द्वारा हिंदू-मुस्लिम के बीच सहिष्णुता जगाने का कार्य किया । बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग, जाति, धर्म के लोगों को उनने अपना शिष्य बनाया । संत कबीर की तरह उनने भी हिंदू-मुस्लिम दोनों के आडंबरों पर करारी चोट की |
औरंगजेब जैसा कट्टर बादशाह भी उनके व्यक्तित्व और वाणी का लोहा मानता था । उसने उन्हें ' कड़ा ' इलाहाबाद के पास 8 गाँव जागीर में दिये, ताकि उन्हें अपने ध्येयपूर्ति में मदद मिले ।
उनने खुलकर प्रचार किया कि मूर्ति और कथा-प्रवचन तो साधन भर हैं, वास्तविक महत्व तो
आत्मपरिशोधन, आत्मपरिष्कार को दिया जाना चाहिये । उनने कई ग्रंथों की रचना की, उनके पद आज भी सभी क लिये मार्गदर्शक हैं ।
संत मलूकदास का जन्म 1631 में इलाहाबाद के पास हुआ | वे 108 वर्ष जिये और उन्होंने चार मुगल बादशाह देखे--- अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब । उनने जीवन भर अपने उपदेशों द्वारा हिंदू-मुस्लिम के बीच सहिष्णुता जगाने का कार्य किया । बिना किसी भेदभाव के हर वर्ग, जाति, धर्म के लोगों को उनने अपना शिष्य बनाया । संत कबीर की तरह उनने भी हिंदू-मुस्लिम दोनों के आडंबरों पर करारी चोट की |
औरंगजेब जैसा कट्टर बादशाह भी उनके व्यक्तित्व और वाणी का लोहा मानता था । उसने उन्हें ' कड़ा ' इलाहाबाद के पास 8 गाँव जागीर में दिये, ताकि उन्हें अपने ध्येयपूर्ति में मदद मिले ।
उनने खुलकर प्रचार किया कि मूर्ति और कथा-प्रवचन तो साधन भर हैं, वास्तविक महत्व तो
आत्मपरिशोधन, आत्मपरिष्कार को दिया जाना चाहिये । उनने कई ग्रंथों की रचना की, उनके पद आज भी सभी क लिये मार्गदर्शक हैं ।
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