क्रोध मार्ग पर जा रहा था । उसके आगे धैर्य चल रहा था । क्रोध को आगे निकलने की जल्दी थी, लेकिन मार्ग इतना ही चौड़ा था कि एक व्यक्ति वहां से निकल सके । क्रोध को भयंकर क्रोध आया और वह बोला--- " यह मार्ग बिलकुल बेकार है, मैं इसे तोड़ डालता हूँ और नया मार्ग तैयार करता हूँ । "
क्रोध के पीछे आती शांति बोली--- " बंधुवर ! कुछ नया निर्माण करने के लिये आपको धैर्य की आवश्यकता पड़ेगी, तो अच्छा यही है कि सब कुछ नष्ट करने के स्थान पर धैर्यपूर्वक यात्रा संपन्न अभी ही कर ली जाये, ताकि बाद में पछताना न पड़े । " क्रोध के पास ठंडा होने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प न था ।
क्रोध के पीछे आती शांति बोली--- " बंधुवर ! कुछ नया निर्माण करने के लिये आपको धैर्य की आवश्यकता पड़ेगी, तो अच्छा यही है कि सब कुछ नष्ट करने के स्थान पर धैर्यपूर्वक यात्रा संपन्न अभी ही कर ली जाये, ताकि बाद में पछताना न पड़े । " क्रोध के पास ठंडा होने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प न था ।
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