सारा खेल संसार में इसी मन;शक्ति का चल रहा है | मन को सशक्त बनाकर प्रतिकूलताओं में भी हम अपना अस्तित्व बनाये रख सकते हैं, स्वस्थ बने रह सकते हैं एवं उल्लास भरा जीवन बिता सकते हैं |
प्रतिकूलतायें ' अवसर ' हैं | जीवन में आये अवसरों को व्यक्ति साहस और ज्ञान की कमी के कारण खो देता है | अज्ञान के कारण उस अवसर का महत्व नहीं समझ पाता |
हमारी मन:स्थिति विधेयात्मक ( पॉजिटिव ) हो तभी प्रगति संभव है |
' मनोबल ही जीवन है | वही सफलता और प्रसन्नता का उद्गम है |'
गीता का तत्वदर्शन हमें जीवन जीने की कला सिखाता है | हमें अपने सुख के लिये वातावरण का, परिस्थितियों का रोना नहीं रोना है | बाहरी परिस्थितियों और वातावरण पर अपनी निर्भरता समाप्त करनी है | अपने प्रचंड मनोबल और आत्मशक्ति के सहारे अपने लिये अनुकूल वातावरण-परिस्थिति बना लेना है
प्रतिकूलतायें ' अवसर ' हैं | जीवन में आये अवसरों को व्यक्ति साहस और ज्ञान की कमी के कारण खो देता है | अज्ञान के कारण उस अवसर का महत्व नहीं समझ पाता |
हमारी मन:स्थिति विधेयात्मक ( पॉजिटिव ) हो तभी प्रगति संभव है |
' मनोबल ही जीवन है | वही सफलता और प्रसन्नता का उद्गम है |'
गीता का तत्वदर्शन हमें जीवन जीने की कला सिखाता है | हमें अपने सुख के लिये वातावरण का, परिस्थितियों का रोना नहीं रोना है | बाहरी परिस्थितियों और वातावरण पर अपनी निर्भरता समाप्त करनी है | अपने प्रचंड मनोबल और आत्मशक्ति के सहारे अपने लिये अनुकूल वातावरण-परिस्थिति बना लेना है
No comments:
Post a Comment