किसी गाँव में एक बालक रहता था, उसने हाथी, बैलगाड़ी, रेल, मोटर आदि सभी सवारियाँ चढी थीं । उसकी इच्छा ऊँट पर सवारी करने की थी । एक बार वह घर को लौट रहा था । रास्ते में एक व्यापारी अपने ऊँट को बैठाकर नदी में स्नान करने चला गया, ऊँट को विश्राम देने के लिये उसने काठी और नकेल दोनों खोल दीं थी । ऊँट देखकर बालक बहुत प्रसन्न हुआ और छलांग लगाकर ऊँट की पीठ पर जा बैठा । अपने स्वभाव के अनुसार ऊँट एकाएक उठा और रास्ते-कुरास्ते भाग चला । लड़का घबड़ाया पर अब क्या हो सकता था, नकेल थी नहीं , ऊँट को काबू कैसे करता । जिधर जी आया, ऊँट उधर ही भागता रहा ।
मार्ग में दो पथिक जा रहे थे । बालक की घबराहट देखकर उन्होंने पूछा---' बालक कहाँ जाओगे ? ' लड़के ने रोते हुए जवाब दिया--" भाई ! जाना तो घर था, किंतु अब तो जहाँ ऊँट ले जाये वहीँ जाना है । " इसी बीच वह एक पेड़ की डाली से टकराया और लहू-लुहान होकर भूमि पर जा गिरा ।
बालक की कहानी पढ़कर लोग उसकी मूर्खता पर हँसेंगे लेकिन आज संसार की स्थिति ठीक इस बालक जैसी है । अनियंत्रित मन नकेल रहित ऊँट की तरह ही मनुष्य को पथ भ्रष्ट करता है । मन के ऊँट पर चढ़कर उसे बेलगाम छोड़ देने का ही परिणाम है कि आज सर्वत्र अपराध, स्वेच्छाचारिता, कलह और कुटिलता के दर्शन हो रहें हैं । मन के नियंत्रण में न होने के कारण लोग जीवन की उपयोगिता को भूल गये हैं । उन्हें भले-बुरे, उचित-अनुचित का भी ध्यान नहीं रहा ।
मन की साधना किसी भी पुरुषार्थ से, योग से बढ़कर है । निष्काम कर्म से मन निर्मल होता है ।
मार्ग में दो पथिक जा रहे थे । बालक की घबराहट देखकर उन्होंने पूछा---' बालक कहाँ जाओगे ? ' लड़के ने रोते हुए जवाब दिया--" भाई ! जाना तो घर था, किंतु अब तो जहाँ ऊँट ले जाये वहीँ जाना है । " इसी बीच वह एक पेड़ की डाली से टकराया और लहू-लुहान होकर भूमि पर जा गिरा ।
बालक की कहानी पढ़कर लोग उसकी मूर्खता पर हँसेंगे लेकिन आज संसार की स्थिति ठीक इस बालक जैसी है । अनियंत्रित मन नकेल रहित ऊँट की तरह ही मनुष्य को पथ भ्रष्ट करता है । मन के ऊँट पर चढ़कर उसे बेलगाम छोड़ देने का ही परिणाम है कि आज सर्वत्र अपराध, स्वेच्छाचारिता, कलह और कुटिलता के दर्शन हो रहें हैं । मन के नियंत्रण में न होने के कारण लोग जीवन की उपयोगिता को भूल गये हैं । उन्हें भले-बुरे, उचित-अनुचित का भी ध्यान नहीं रहा ।
मन की साधना किसी भी पुरुषार्थ से, योग से बढ़कर है । निष्काम कर्म से मन निर्मल होता है ।
No comments:
Post a Comment