'इस्लाम की सादगी और भारतीय जीवन दर्शन का अपरिग्रह उनके व्यक्तित्व में दूध और पानी की तरह एकाकार हो गया था । ' एक मुसलमान किस प्रकार अपने मजहब व रहन-सहन के प्रति एकनिष्ठ रहते हुए भारत और भारतीयता के प्रति एकनिष्ठ रह सकता है, वे इस सत्य की जीती-जागती मूरत थे | हमारे देश की विविधता में एकता वाली सच्चाई को उन्होंने मूर्त रूप दिया ।
वो जन-नेता थे । जनता के दुःख-दर्द और राष्ट्र के हित के साथ एकात्म भाव स्थापित करने वाली चारित्रिक शक्ति रफी साहब के चरित्र और व्यक्तित्व में देखने को मिलती थी ।
वे दो बार केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सम्मिलित हुए और इन दोनों अवसरों पर उन्होंने जो साहसपूर्ण कदम उठाये वे मिसाल बन गये । परिवहन और संचार मंत्री के रूप में उन्होंने समस्त डाक-तार कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश देने की घोषणा की और नागपुर होते हुए दिल्ली, कलकत्ता, बम्बई व मद्रास को जोड़ने वाली रात्रिकालीन डाकसेवा प्रारम्भ की ।
कृषि व खाद्द मंत्री के रूप में उन्होंने जो सेवा की उसे आज तक लोग याद करते हैं । वे कार के बजाय रेलगाड़ी के तीसरे दर्जे में साधारण वेशभूषा में बिना किसी पूर्व सूचना के सफर करते थे , इससे उन्हें वास्तविक स्थिति जानने में भरपूर सहायता मिलती थी । वे कई नगरों में वेश बदलकर घूमे । उन्होंने कई व्यापारियों से अनाज के भाव पूछे, उनसे सौदा किया । उन व्यापारियों को पता ही नहीं था कि वे केन्द्रीय खाद्द मंत्री से मोलभाव कर रहे हैं | अपनी विलक्षण सूझ-बूझ व कार्यप्रणाली के कारण वे खाद्दान के कृत्रिम संकट को समाप्त करने में आश्चर्यजनक रूप से सफल रहे । उनकी कार्यप्रणाली में आरामतलबी और गैरजिम्मेदारी को कोई स्थान नहीं था ।
उनकी सादगी और सरलता ने उन्हें राजनेता के रूप में जो लोकप्रियता दिलायी थी वह प्रचार से संभव नहीं थी । उन्होंने अकेले ने जिस असंभव कार्य को संभव किया वह उनके साहस, नीति-निष्ठा और विलक्षण सूझबूझ का परिणाम था ।
वो जन-नेता थे । जनता के दुःख-दर्द और राष्ट्र के हित के साथ एकात्म भाव स्थापित करने वाली चारित्रिक शक्ति रफी साहब के चरित्र और व्यक्तित्व में देखने को मिलती थी ।
वे दो बार केन्द्रीय मंत्रिमंडल में सम्मिलित हुए और इन दोनों अवसरों पर उन्होंने जो साहसपूर्ण कदम उठाये वे मिसाल बन गये । परिवहन और संचार मंत्री के रूप में उन्होंने समस्त डाक-तार कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश देने की घोषणा की और नागपुर होते हुए दिल्ली, कलकत्ता, बम्बई व मद्रास को जोड़ने वाली रात्रिकालीन डाकसेवा प्रारम्भ की ।
कृषि व खाद्द मंत्री के रूप में उन्होंने जो सेवा की उसे आज तक लोग याद करते हैं । वे कार के बजाय रेलगाड़ी के तीसरे दर्जे में साधारण वेशभूषा में बिना किसी पूर्व सूचना के सफर करते थे , इससे उन्हें वास्तविक स्थिति जानने में भरपूर सहायता मिलती थी । वे कई नगरों में वेश बदलकर घूमे । उन्होंने कई व्यापारियों से अनाज के भाव पूछे, उनसे सौदा किया । उन व्यापारियों को पता ही नहीं था कि वे केन्द्रीय खाद्द मंत्री से मोलभाव कर रहे हैं | अपनी विलक्षण सूझ-बूझ व कार्यप्रणाली के कारण वे खाद्दान के कृत्रिम संकट को समाप्त करने में आश्चर्यजनक रूप से सफल रहे । उनकी कार्यप्रणाली में आरामतलबी और गैरजिम्मेदारी को कोई स्थान नहीं था ।
उनकी सादगी और सरलता ने उन्हें राजनेता के रूप में जो लोकप्रियता दिलायी थी वह प्रचार से संभव नहीं थी । उन्होंने अकेले ने जिस असंभव कार्य को संभव किया वह उनके साहस, नीति-निष्ठा और विलक्षण सूझबूझ का परिणाम था ।
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