पद-प्रतिष्ठा, धन-वैभव पाने का लोभ प्रस्तुत होने पर अधिकांश व्यक्ति फिसल जाते हैं जबकि आदर्शों और सिद्धांतों के धनी व्यक्तित्व इन अवसरों पर भी चट्टान की तरह दृढ़ देखे जाते हैं और क्षणिक भौतिक लाभों की तुलना में कर्तव्य-निष्ठा और नैतिकता को अधिक महत्त्व देते हैं, प्रलोभन उन्हें डिगा नहीं पाते | ऐसे व्यक्तियों में स्वर्गीय श्री चिम्मनलाल शीतलवाड़ का नाम उल्लेखनीय है |
उन दिनों वे बम्बई विश्वविद्यालय में किसी प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त थे । किसी मामले में अपने अनुचित स्वार्थ के लिए एक संपन्न व्यक्ति उनके पास पहुँचा । उसने श्री शीतलवाड़ को रिश्वत देनी चाही पर उन्होंने इसके लिए स्पष्ट इन्कार कर दिया |
शायद और अधिक धन राशि पर वे कार्य करने के लिए सहमत हो जायें, यह सोचकर वह प्रलोभन की राशि बढ़ाता गया ।
एक लाख रूपये की राशि तक बढ़ाते हुए पहुँचने पर उस व्यक्ति ने शीतलवाड़ से कहा---- " देखिए श्रीमान, आपको इतनी बडी राशि देने वाला कोई नहीं मिलेगा । "
श्री शीतलवाड़ ने आक्रोश भरे दृढ़ शब्दों में उसे अस्वीकार करते हुए उत्तर दिया -------- " तुम्हे भी इतनी बड़ी रकम मुफ्त में लेने से इनकार करने वाले कम ही मिलेंगे ।
उनकी अविचल ईमानदारी ओर द्रढ़ता को देखकर आगन्तुक सन्न रह गए और जैसे आये थे उल्टे पैर उसी प्रकार लौट गये ।
ऐसे व्यक्तित्व ही देश और समाज की सबसे बड़ी सम्पदा हैं । समाज, धर्म और संस्कृति ऐसे आदर्शनिष्ठ व्यक्तियों से ही महान बनते और प्रतिष्ठा पाते हैं ।
उन दिनों वे बम्बई विश्वविद्यालय में किसी प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त थे । किसी मामले में अपने अनुचित स्वार्थ के लिए एक संपन्न व्यक्ति उनके पास पहुँचा । उसने श्री शीतलवाड़ को रिश्वत देनी चाही पर उन्होंने इसके लिए स्पष्ट इन्कार कर दिया |
शायद और अधिक धन राशि पर वे कार्य करने के लिए सहमत हो जायें, यह सोचकर वह प्रलोभन की राशि बढ़ाता गया ।
एक लाख रूपये की राशि तक बढ़ाते हुए पहुँचने पर उस व्यक्ति ने शीतलवाड़ से कहा---- " देखिए श्रीमान, आपको इतनी बडी राशि देने वाला कोई नहीं मिलेगा । "
श्री शीतलवाड़ ने आक्रोश भरे दृढ़ शब्दों में उसे अस्वीकार करते हुए उत्तर दिया -------- " तुम्हे भी इतनी बड़ी रकम मुफ्त में लेने से इनकार करने वाले कम ही मिलेंगे ।
उनकी अविचल ईमानदारी ओर द्रढ़ता को देखकर आगन्तुक सन्न रह गए और जैसे आये थे उल्टे पैर उसी प्रकार लौट गये ।
ऐसे व्यक्तित्व ही देश और समाज की सबसे बड़ी सम्पदा हैं । समाज, धर्म और संस्कृति ऐसे आदर्शनिष्ठ व्यक्तियों से ही महान बनते और प्रतिष्ठा पाते हैं ।
No comments:
Post a Comment