पारसियों के इतिहास में नौशेरवां एक बहुत प्रसिद्ध और न्यायशील बादशाह हुआ है । उसके पिता ' कोबाद ' के समय में फारस में ' मजदक ' नाम के एक ढोंगी धर्म प्रचारक ने एक नया सम्प्रदाय अपने नाम से चलाया था , इसका सिद्धांत था कि सब चीजें भगवान की देन हैं , इसलिए किसी की चीज को ले लेने में कोई दोष नहीं है । मजदक बड़ा धूर्त था उसने चालाकी से बादशाह कोबाद को अपना अनुयायी बना लिया इससे राज्य में स्वार्थी और चालाक व्यक्तियों का जोर बढ़ गया ।
जब नौशेरवां बादशाह बना तो सबसे पहले उसने मजदक के अनुयायिओं पर पाबन्दी लगाने का निश्चय किया मजदक तब तक राजगुरु की पदवी पर बैठा था , उसे इस बात का अहंकार था की मेरे सामने कोई सिर नहीं उठा सकता ।,।
एक दिन एक म्व्यक्ति रोता हुआ दरबार में आया और नौशेरवां से शिकायत की कि---- "इसके एक चेले ने मेरी स्त्री को छीन लिया है और मांगने पर उलटी धमकी देता है । मेरा न्याय किया जाये । मजदक उस समय दरबार में उपस्थित था | नौशेरवां ने क्रोधपूर्वक कहा ----
" मजदक ! अब ऐसा अंधेर नहीं चलेगा , इसी समय अपने चेले से इसकी स्त्री को वापस कराओ और अपने धर्म का प्रचार बंद करो l "
अभिमान के कारण मजदक ने राजा की न्याययुक्त बात नहीं मानी और यह कहकर दरबार से चला गया कि " बादशाह के बाद पुत्र को मुझे हुक्म देने का कोई अधिकार नहीं है ।"
जब नौशेरवां ने देखा कि ये लोग सीधी तरह नहीं मानेंगे और सख्ती न की जायेगी तो राज्य में विद्रोह खड़ा कर देंगे , तो नौशेरवां ने मजदक और उसके सब चेलों को तुरंत पकड़ लेने की आज्ञा दी । उन सबको जेल में बंद कर दिया गया और उन्होंने जिन लोगों की सम्पति छीनी थी वह सब वापस करा दी गई । मजदक को नौशेरवां ने प्राणदंड की आज्ञा दी , जिससे फिर कोई उसके शासन में अन्याय करने का साहस न करे ।
जब नौशेरवां बादशाह बना तो सबसे पहले उसने मजदक के अनुयायिओं पर पाबन्दी लगाने का निश्चय किया मजदक तब तक राजगुरु की पदवी पर बैठा था , उसे इस बात का अहंकार था की मेरे सामने कोई सिर नहीं उठा सकता ।,।
एक दिन एक म्व्यक्ति रोता हुआ दरबार में आया और नौशेरवां से शिकायत की कि---- "इसके एक चेले ने मेरी स्त्री को छीन लिया है और मांगने पर उलटी धमकी देता है । मेरा न्याय किया जाये । मजदक उस समय दरबार में उपस्थित था | नौशेरवां ने क्रोधपूर्वक कहा ----
" मजदक ! अब ऐसा अंधेर नहीं चलेगा , इसी समय अपने चेले से इसकी स्त्री को वापस कराओ और अपने धर्म का प्रचार बंद करो l "
अभिमान के कारण मजदक ने राजा की न्याययुक्त बात नहीं मानी और यह कहकर दरबार से चला गया कि " बादशाह के बाद पुत्र को मुझे हुक्म देने का कोई अधिकार नहीं है ।"
जब नौशेरवां ने देखा कि ये लोग सीधी तरह नहीं मानेंगे और सख्ती न की जायेगी तो राज्य में विद्रोह खड़ा कर देंगे , तो नौशेरवां ने मजदक और उसके सब चेलों को तुरंत पकड़ लेने की आज्ञा दी । उन सबको जेल में बंद कर दिया गया और उन्होंने जिन लोगों की सम्पति छीनी थी वह सब वापस करा दी गई । मजदक को नौशेरवां ने प्राणदंड की आज्ञा दी , जिससे फिर कोई उसके शासन में अन्याय करने का साहस न करे ।
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