एक बार एक वृद्ध ने किसी भद्र पुरुष से पूछा --- " क्या आप मुझे इस कोठी के स्वामी से मिला
देंगे ? " भद्र पुरुष ने कहा ---- " क्या काम है उनसे , मुझसे कहिये ? "
गरीब वृद्ध ने कहा ----- " मेरी बेटी का विवाह है | तीन सौ रूपये चाहिए । यदि उनसे मिल गये तो मैं अपनी बेटी का विवाह कर सकूँगा । "
आओ मेरे साथ । और भद्र पुरुष वृद्ध को अपने साथ कार में बिठा कर ले गये । थोड़ी दूर जाकर कार रुकी और भद्र पुरुष उतरे और सामने खड़ी बिल्डिंग में प्रवेश किया , वृद्ध को बरामदे में बैठने को कहा ।
थोड़ी देर बाद एक चपरासी बरामदे में आया और वृद्ध को पांच सौ रूपये देते हुए बोला---- भाई ! यह पांच सौ रूपये हैं । तीन सौ में अपनी बेटी का विवाह करना और बाकी दो सौ से विवाह के बाद कोई ऐसा धन्धा कर लेना जिससे जीविका चलती रहे । "
वृद्ध ने रूपये तो ले लिए , किन्तु बोला ---- भाई ! मुझे कोठी के स्वामी तो मिले ही नहीं । "
चपरासी ने कहा ---- अभी - अभी जिनके साथ कार में बैठकर आप यहाँ आये हैं , वे ही इस कोठी के स्वामी हैं ----- चितरंजन दास ।
देंगे ? " भद्र पुरुष ने कहा ---- " क्या काम है उनसे , मुझसे कहिये ? "
गरीब वृद्ध ने कहा ----- " मेरी बेटी का विवाह है | तीन सौ रूपये चाहिए । यदि उनसे मिल गये तो मैं अपनी बेटी का विवाह कर सकूँगा । "
आओ मेरे साथ । और भद्र पुरुष वृद्ध को अपने साथ कार में बिठा कर ले गये । थोड़ी दूर जाकर कार रुकी और भद्र पुरुष उतरे और सामने खड़ी बिल्डिंग में प्रवेश किया , वृद्ध को बरामदे में बैठने को कहा ।
थोड़ी देर बाद एक चपरासी बरामदे में आया और वृद्ध को पांच सौ रूपये देते हुए बोला---- भाई ! यह पांच सौ रूपये हैं । तीन सौ में अपनी बेटी का विवाह करना और बाकी दो सौ से विवाह के बाद कोई ऐसा धन्धा कर लेना जिससे जीविका चलती रहे । "
वृद्ध ने रूपये तो ले लिए , किन्तु बोला ---- भाई ! मुझे कोठी के स्वामी तो मिले ही नहीं । "
चपरासी ने कहा ---- अभी - अभी जिनके साथ कार में बैठकर आप यहाँ आये हैं , वे ही इस कोठी के स्वामी हैं ----- चितरंजन दास ।
No comments:
Post a Comment