बहुत समय से भारतीय जनता धर्म के मूल स्वरुप को भूलकर उसे सामान्य जीवन से कोई भिन्न बात मानने लग गई है , जिससे लोग पूजा - पाठ , जप - तप करते हुए भी सामाजिक और राष्ट्रीय व्यवहार में विपरीत आचरण करने लग गये थे | उदाहरण के लिए जिन लोगों ने अपने किसी स्वार्थ के कारण विदेशी आक्रमणकारियों को बुलाकर अथवा उनके साथ सहयोग करके देश को पराधीन कराया , जनता पर अत्याचार कराये , सम्पति को लुटवाया , उनको किसी ने अधार्मिक नहीं कहा । कारण यह कि इन समाज - विरोधी कार्यों को करते हुए भी वे अच्छी तरह से पूजा - पाठ , दान - दक्षिणा आदि का जिनको लोग ' धर्म - कृत्य ' कहते हैं , पालन करते रहते थे ।
समर्थ गुरु रामदास ने इस त्रुटि को अनुभव किया और उन्होंने धर्म - चर्चा , पूजा - उपासना आदि के माध्यम से अन्धविश्वास को दूर कर कर्तव्य परायण बनने की शिक्षा दी और जनता को देश , जाति और समाज की रक्षा के लिए विशेष रूप से प्रेरणा दी । महाराष्ट्र में समर्थ गुरु ने राष्ट्रीयता की ज्वाला प्रज्ज्वलित कर दी । महाराष्ट्र में महाराजा शिवाजी ने विदेशी शासक को ऐसा जोरदार धक्का लगाया जिससे उनकी जड़ें हिल गईं ।
समर्थ गुरु अध्यात्म तथा व्यवहार का समन्वय करके ऐसा मार्गदर्शन करते थे जिससे सांसारिक बाधाओं का निराकरण होकर लौकिक और पारलौकिक द्रष्टि से मानव जीवन सफल हो सके ।
समर्थ गुरु रामदास ने इस त्रुटि को अनुभव किया और उन्होंने धर्म - चर्चा , पूजा - उपासना आदि के माध्यम से अन्धविश्वास को दूर कर कर्तव्य परायण बनने की शिक्षा दी और जनता को देश , जाति और समाज की रक्षा के लिए विशेष रूप से प्रेरणा दी । महाराष्ट्र में समर्थ गुरु ने राष्ट्रीयता की ज्वाला प्रज्ज्वलित कर दी । महाराष्ट्र में महाराजा शिवाजी ने विदेशी शासक को ऐसा जोरदार धक्का लगाया जिससे उनकी जड़ें हिल गईं ।
समर्थ गुरु अध्यात्म तथा व्यवहार का समन्वय करके ऐसा मार्गदर्शन करते थे जिससे सांसारिक बाधाओं का निराकरण होकर लौकिक और पारलौकिक द्रष्टि से मानव जीवन सफल हो सके ।
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