' बुकर टी. वाशिंगटन का जीवन हम सबके लिए , विशेष रूप से साधनहीन गरीब युवकों के लिए आदर्श और प्रेरणादायक है । उनकी गरीबी की कोई सीमा न थी , क्योंकि गुलामों का सब कुछ उनके मालिकों का होता है , समाज में उनको किसी प्रकार का अधिकार न था , प्रगति के कोई साधन उन्हें प्राप्त न थे । ऐसी स्थिति में वे अपनी अंत: प्रेरणा से ऊपर उठे और अनेकों कठिनाइयाँ उठाकर शिक्षा प्राप्त की । उनकी सबसे बड़ी महानता तो यह थी कि शिक्षा प्राप्त करके उसका उपयोग अपने निजी सुख के लिए करने के बजाय, उसके द्वारा अपनी नीग्रो जाति के अन्य व्यक्तियों को ऊँचा उठाने का , उनके उद्धार का प्रयास वे निरंतर करते रहे । आज उनका जन्म स्थान जो गुलामों के रहने की छोटी सी कोठरी थी एक ' तीर्थ स्थल ' बन गई है , जहाँ प्रतिवर्ष लाखों नीग्रो और कुछ गोरे भी अपनी भक्ति प्रदर्शन के लिए जाते हैं ।
अमेरिका की किसी कोयले की खान में एक 12 वर्षीय लड़का मजदूरी कर रहा था । एक दिन कोयला धोते हुए उसने दो मजदूरों को बात करते हुए सुना कि " हैम्पटन नगर में हब्शियों के लिए एक ऐसा स्कूल खुला है जहाँ पर वे पढ़ने के साथ - साथ अपने गुजारे के लिए कमाई भी कर सकते हैं । " इन शब्दों के कान में पड़ते ही उस बालक को हैम्पटन की धुन लग गई । । यह लड़का था ---- बुकर टी. वाशिंगटन ( 1856 - 1915 )
हैम्पटन के स्कूल की चर्चा सुनने के पश्चात बुकर ने कोयले के खान की नौकरी छोड़ दी , कुछ समय एक गोरी महिला के यहाँ काम किया फिर 1872 में सोलह वर्ष की आयु में हैम्पटन की ओर चल पड़ा , पैर में जूते नहीं थे । । बुकर के पास इतने पैसे नहीं थे कि हैम्पटन का पूरा किराया दे सके
अत: रास्ते में मजदूरी करते हुए कभी पैदल , कभी सवारी से वे हैम्पटन पहुंचे l उनकी फटी- टूटी हालत देखकर प्रधान अध्यापिका को उनके दाखिले को लेकर संकोच हुआ फिर उसने कहा कि
बगल के अध्यापकीय कमरे को साफ़ करना है । बुकर इस आदेश को सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने समझ लिया कि झाड़ू लगाने की इस परीक्षा में पास होने पर उनका भविष्य छुपा है ।
उन्होंने बड़े उत्साह से झाड़ू लेकर कमरे को तीन बार झाड़ा फिर कपड़ा लेकर वहां रखी मेज - कुर्सियों को अच्छी तरह पोंछा । कुछ देर बाद प्रधान अध्यापिका जब जाँच करने आईं तो उन्होंने रुमाल से रगड़ कर देखा , कहीं धूल का एक कण भी नहीं था तो उन्होंने संतुष्ट होकर कहा --- " मैं समझती हूँ कि तुम इस संस्था में शामिल होकर अध्ययन कर सकते हो । "
संसार में ज्ञान , गुण और परिश्रम का ही आदर होता है बुकर ने स्वयं सब तरह का कष्ट उठाकर शिक्षा प्राप्त की , अपनी योग्यता को अपने स्वार्थ साधन में न लगाकर अपनी जाति के उत्थान में लगाया तब नीग्रो लोगों की दशा में कुछ सुधार हुआ । 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
अमेरिका की किसी कोयले की खान में एक 12 वर्षीय लड़का मजदूरी कर रहा था । एक दिन कोयला धोते हुए उसने दो मजदूरों को बात करते हुए सुना कि " हैम्पटन नगर में हब्शियों के लिए एक ऐसा स्कूल खुला है जहाँ पर वे पढ़ने के साथ - साथ अपने गुजारे के लिए कमाई भी कर सकते हैं । " इन शब्दों के कान में पड़ते ही उस बालक को हैम्पटन की धुन लग गई । । यह लड़का था ---- बुकर टी. वाशिंगटन ( 1856 - 1915 )
हैम्पटन के स्कूल की चर्चा सुनने के पश्चात बुकर ने कोयले के खान की नौकरी छोड़ दी , कुछ समय एक गोरी महिला के यहाँ काम किया फिर 1872 में सोलह वर्ष की आयु में हैम्पटन की ओर चल पड़ा , पैर में जूते नहीं थे । । बुकर के पास इतने पैसे नहीं थे कि हैम्पटन का पूरा किराया दे सके
अत: रास्ते में मजदूरी करते हुए कभी पैदल , कभी सवारी से वे हैम्पटन पहुंचे l उनकी फटी- टूटी हालत देखकर प्रधान अध्यापिका को उनके दाखिले को लेकर संकोच हुआ फिर उसने कहा कि
बगल के अध्यापकीय कमरे को साफ़ करना है । बुकर इस आदेश को सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने समझ लिया कि झाड़ू लगाने की इस परीक्षा में पास होने पर उनका भविष्य छुपा है ।
उन्होंने बड़े उत्साह से झाड़ू लेकर कमरे को तीन बार झाड़ा फिर कपड़ा लेकर वहां रखी मेज - कुर्सियों को अच्छी तरह पोंछा । कुछ देर बाद प्रधान अध्यापिका जब जाँच करने आईं तो उन्होंने रुमाल से रगड़ कर देखा , कहीं धूल का एक कण भी नहीं था तो उन्होंने संतुष्ट होकर कहा --- " मैं समझती हूँ कि तुम इस संस्था में शामिल होकर अध्ययन कर सकते हो । "
संसार में ज्ञान , गुण और परिश्रम का ही आदर होता है बुकर ने स्वयं सब तरह का कष्ट उठाकर शिक्षा प्राप्त की , अपनी योग्यता को अपने स्वार्थ साधन में न लगाकर अपनी जाति के उत्थान में लगाया तब नीग्रो लोगों की दशा में कुछ सुधार हुआ । 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
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